घटना
मंगलवार सुबह लगभग 6 बजे जब शहर भारी बारिश की चपेट में था, उसी दौरान सुरेश लोधी घर से निकले। बारिश के पानी और नाले के तेज बहाव के बीच फर्क न कर पाने की वजह से वह टंडन ढाल के पास खुले नाले में गिर गए और बहते चले गए। यह पूरा इलाका ठाकुरगंज थाना क्षेत्र में आता है। घटनास्थल पर मौजूद लोगों ने तुरंत पुलिस और राहत दल को सूचना दी। SDRF की टीम और स्थानीय पुलिस ने मौके पर पहुंचकर रेस्क्यू अभियान शुरू किया।
24 घंटे का रेस्क्यू ऑपरेशन
SDRF की टीम लगातार 24 घंटे तक सुरेश लोधी की तलाश में जुटी रही। बुधवार सुबह कुड़ियाघाट के पास कैटल कॉलोनी में उनका शव बरामद हुआ। शव की हालत देखकर अंदाजा लगाया जा सकता था कि पानी के तेज बहाव में वह काफी दूर तक बह गए थे। परिजन पहले से घटनास्थल के पास मौजूद थे और शव की शिनाख्त करते ही रो-रो कर उनका बुरा हाल हो गया।
परिजनों का आरोप
परिजनों ने नगर निगम और क्षेत्रीय पार्षद पर खुला आरोप लगाया कि इलाके में जल निकासी की कोई समुचित व्यवस्था नहीं है। भारी बारिश के दौरान नाले और सड़क के पानी का कोई अंतर नहीं पता चलता। नाला खुला छोड़ दिया गया है, जिसकी वजह से यह हादसा हुआ।
चश्मदीदों का बयान
स्थानीय निवासी रमेश कुमार ने बताया, “हर साल की तरह इस बार भी बारिश में यही हाल है। सड़क और नाला एक जैसा दिखता है। सुरेश सुबह घर से निकले थे, और अचानक देखते ही देखते नाले में गिर गए। कोई सुरक्षा दीवार या चेतावनी संकेत नहीं था।”
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लिया संज्ञान
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस घटना को गंभीरता से लेते हुए गहरी संवेदना जताई और पीड़ित परिवार को 5 लाख रुपये की आर्थिक सहायता मुख्यमंत्री राहत कोष से प्रदान करने की घोषणा की। साथ ही प्रमुख सचिव नगर विकास को निर्देश दिए कि इस मामले में जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ तत्काल कठोर कार्रवाई की जाए। मुख्यमंत्री ने कहा, “नगर निकायों की लापरवाही से अगर एक भी नागरिक की जान जाती है तो इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। संबंधित अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाएगी।”
नगर निगम की सफाई और नालों की स्थिति पर सवाल
लखनऊ में हर साल मानसून के दौरान जलभराव और नालों की सफाई एक बड़ा मुद्दा बनकर सामने आता है। नगर निगम दावा करता है कि मानसून पूर्व सभी नालों की सफाई पूरी कर ली जाती है, लेकिन घटनाएं इसका उलटा चेहरा दिखा देती हैं। न तो नाले कवर किए गए हैं और न ही किसी प्रकार की सुरक्षा दीवार लगाई गई है। ऐसे में नागरिकों की जान खतरे में पड़ रही है।
क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों की भूमिका
क्षेत्रीय पार्षद और विधायक पर भी सवाल उठ रहे हैं कि क्यों समय रहते इस क्षेत्र की खामियों को दूर नहीं किया गया। मानसून पूर्व समीक्षा बैठकों में जिन खतरनाक और खुले नालों की सूची बनती है, क्या वह सिर्फ कागजों तक ही सीमित रह जाती है?
जनता में आक्रोश
इस हादसे के बाद स्थानीय लोगों में आक्रोश है। लोगों का कहना है कि प्रशासन हर बार घटनाओं के बाद ही जागता है। अगर पहले से सावधानी बरती गई होती, तो सुरेश लोधी की जान बच सकती थी। कई लोगों ने सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन करने की चेतावनी दी है। नगर निगम के अधिकारियों ने आश्वासन दिया है कि जल्द ही टंडन ढाल समेत अन्य संवेदनशील इलाकों में खुले नालों को कवर करने, चेतावनी बोर्ड लगाने और जल निकासी को बेहतर करने के प्रयास किए जाएंगे। लेकिन यह आश्वासन कब और कितना पूरा होगा, यह समय बताएगा।