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ढाई दिन की बच्ची ने किया देहदान:म्यूजियम में रहेगा शव, सबसे कम उम्र की डोनर बनी सरस्वती

Body Donation:युवा दंपति ने बड़ी मिशाल पेश करते हुए अपनी ढाई दिन की मृत बच्ची का देहदान किया है। दुख की घड़ी में किया गया ये महादान पूरे समाज के लिए एक प्रेरणा बन गया है। अब बच्ची के शव को म्यूजियम में रखा जाएगा, लेकिन मां-बाप उसे कभी नहीं देख पाएंगे।

लखनऊDec 12, 2024 / 07:01 am

Naveen Bhatt

Two and a half day old girl donated her body in Uttarakhand

ढाई दिन की बच्ची का देहदान समाज के लिए बड़ी प्रेरणा बनेगा

Body Donation:एक दंपति ने दुख की कठिन घड़ी में मानव समाज के लिए बड़ी मिशाल कायम की है। उत्तराखंड के हरिद्वार के ज्वालापुर स्थित पुरुषोत्तम नगर निवासी 30 वर्षीय राममेहर और उनकी पत्नी नैंसी ने समाज में बड़ी मिशाल पेश की है। नैंसी को प्रसव पीड़ा के बाद दून अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां रविवार दोपहर बाद करीब तीन बजे सिजेरियन डिलीवरी के बाद उन्होंने बच्ची को जन्म दिया। दिल के पंपिंग नहीं करने और रक्त का प्रेशर नहीं बनने की समस्या के चलते बच्ची को निक्कू वार्ड में भर्ती कराया गया था। इसी दरमियान मंगलवार रात बच्ची का निधन हो गया था। राममेहर ने बच्ची की मौत की सूचना अपने पारिवारिक डॉक्टर जितेंद्र सैनी को दी। सैनी ने उन्हें बच्ची के शरीर को दान करने की राय दी। इस पर उन्होंने पत्नी से बात की। पत्नी भी बच्ची के देहदान को तैयार हो गई। इसके बाद दंपति ने दधीचि देहदान समिति के पदाधिकारियों से संपर्क किया। बुधवार को दून मेडिकल कॉलेज के एनॉटमी विभाग में बच्ची के शव को दान करने की प्रक्रिया प्रोफेसर डॉ. जॉली अग्रवाल, डॉ. राजेश मौर्य ने पूरी कराई।

सबसे कम उम्र में देहदान का रिकॉर्ड

ढाई दिन की सरस्वती सबसे कम उम्र में देहदान करने वाली देश की पहली बच्ची बन गई है। इसके साथ ही युवा दंपति ने भी मानव समाज में बड़ी मिशाल कायम की है। उनकी नवजात बिटिया की मौत जन्म के ढाई दिन बाद हो गई थी। इस दंपति ने नवजात के शव को दून मेडिकल कॉलेज के एनॉटमी विभाग में दान कर दिया। मेडिकल के छात्रों की पढ़ाई में अब नवजात बिटिया की देह काम आएगी। देश में यह सबसे कम उम्र के बच्चे की देह को दान करने का रिकार्ड बन गया है। जानकारी के मुताबिक इससे पहले एम्स दिल्ली में सात दिन के बच्चे के शव को डोनेट किया गया था।
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परिजन नहीं कर पाएंगे दर्शन

ढाई दिन में ही नवजात की मौत के बाद बच्ची का नाम सरस्वती रखा गया। अब उसके शव को मेडिकल कॉलेज के म्यूजियम में रखा जाएगा, लेकिन मां-बाप उसे कभी नहीं देख पाएंगे। शव का लंबे समय तक सुरक्षित रखने के लिए उसपर थर्मालीन का लेप लगाया जाएगा। मेडिकल कॉलेज के नियमों के अनुसार म्यूजियम में रखे शवों के दर्शन की अनुमति परिजनों को नहीं दी जाती है।

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