यूपी भाजपा के प्रदेश चुनाव अधिकारी डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय ने उम्मीद जताई है कि जिला अध्यक्षों के बाद जल्द ही प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। सत्ताधारी पार्टी होने की वजह से भाजपा में दावेदारों को कमी नहीं है। लेकिन भाजपा 2024 लोकसभा चुनाव में आए परिणाम और आगामी चुनावों को देखते हुए जातिगत फैक्टर के साथ-साथ हर पहलू पर गौर कर रही है।
क्या भाजपा बदलेगी रणनीति?
राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, भाजपा एक अनुभवी और प्रभावशाली नेता को इस पद पर नियुक्त करना चाहती है, जो 2027 के चुनाव में पार्टी को फिर से सत्ता दिलाने में अहम भूमिका निभा सके। आइए आपको बताते है यूपी के भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के रेस में कौन से नाम हैं और उनका जातीय समीकरण क्या है…
भाजपा का 2027 पर फोकस
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बीजेपी जातीय संतुलन को ध्यान में रखते हुए प्रदेश अध्यक्ष नियुक्ति करेगी। यूपी की राजनीति में ओबीसी और दलित वोटर्स की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है, इसलिए पार्टी पिछड़ी जातियों या अनुसूचित जाति से अध्यक्ष चुन सकती है। हालांकि, ब्राह्मण समुदाय को भी साधना बीजेपी के लिए जरूरी होगा, क्योंकि यह वर्ग पारंपरिक रूप से पार्टी का कोर वोट बैंक माना जाता है।
ओबीसी कार्ड
अगर बीजेपी ओबीसी समुदाय से अध्यक्ष बनाती है तो स्वतंत्र देव सिंह, धर्मपाल सिंह, हरीश वर्मा, या अमरपाल मौर्य का नाम सबसे आगे रहेगा। दलित समीकरण
अनुसूचित जाति से किसी नेता को आगे लाने के लिए विद्यासागर सोनकर सबसे मजबूत दावेदार हो सकते हैं।
ब्राह्मण फैक्टर
ब्राह्मणों की नाराजगी को दूर करने के लिए दिनेश शर्मा को प्रदेश अध्यक्ष बनाया जा सकता है। अब देखना होगा कि पार्टी 2027 के चुनाव को ध्यान में रखते हुए किस जातीय समीकरण को तरजीह देती है और संगठन की बागडोर किसे सौंपती है।