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डीजीपी पद की दौड़ में ये हैं प्रमुख चेहरे: राज्य में नए डीजीपी की रेस में कई अनुभवी और वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी शामिल हैं। सभी की अलग-अलग विशेषज्ञता और प्रशासनिक पृष्ठभूमि है, जो उन्हें इस अहम पद के लिए उपयुक्त बनाती है।1.राजीव कृष्ण (1991 बैच)
- वर्तमान पद: अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड, और विजिलेंस निदेशक।
- प्रोफाइल: बेहद गंभीर, अनुशासित और प्रशासनिक अनुभव से भरपूर।
- शेष सेवा अवधि: लगभग 4 वर्ष
- विशेष योग्यता: भर्ती प्रक्रिया और पुलिस ट्रेनिंग में गहरी पकड़।
- संभावना: शासन में अच्छा प्रभाव, सशक्त दावेदार माने जा रहे हैं।
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2.दलजीत सिंह चौधरी
- वर्तमान पद: डीजी, BSF (सीमा सुरक्षा बल)
- शेष सेवा अवधि: 6 महीने से अधिक
- प्रोफाइल: केंद्र सरकार में लम्बे समय तक सेवा, अर्धसैनिक बलों का अनुभव।
- विशेषता: रणनीतिक प्लानिंग, हाई-लेवल सिक्योरिटी मैनेजमेंट।
- संभावना: दिल्ली से समर्थन मिलने की स्थिति में नाम आगे आ सकता है।
3.आलोक शर्मा
- वर्तमान पद: एसपीजी प्रमुख (Special Protection Group)
- सेवा अवधि: 6+ महीने शेष
- प्रोफाइल: वीवीआईपी सुरक्षा, केंद्र में अहम पदों पर तैनाती।
- विशेष योग्यता: अनुशासन, सुरक्षा प्रोटोकॉल और उच्चस्तरीय प्रशासन में दक्षता।
- संभावना: केंद्र-राज्य संतुलन में मजबूत नाम।
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4.एमके बसाल (1990 बैच)
- वरिष्ठता में उच्च स्थान
- प्रोफाइल: लंबे प्रशासनिक अनुभव के धनी।
- सेवा के अंतिम चरण में
- संभावना: सीनियर मोस्ट होने के कारण संभावित नाम, हालांकि सक्रियता पर सवाल उठ सकते हैं।
5.तिलोत्तमा वर्मा
- वर्तमान पद: डीजी, प्रशिक्षण
- प्रोफाइल: लंबे समय तक सीबीआई में कार्यरत रही हैं।
- विशिष्टता: प्रशिक्षण, महिला सुरक्षा और न्यायिक प्रक्रिया की समझ।
- खास बात: यदि चयन होता है, तो यूपी की पहली महिला डीजीपी बन सकती हैं।
- संभावना: सरकार महिला नेतृत्व को बढ़ावा देना चाहे, तो मौका मिल सकता है।
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अन्य संभावित नाम
- आदित्य मिश्रा
- संदीप तालुके
- रेणुका मिश्रा
- यह सभी वरिष्ठता सूची में मौजूद हैं और इनका भी नाम चर्चा में है। हालाँकि इनकी सक्रियता, राजनीतिक समीकरण, और सेवा शेष अवधि के आधार पर संभावनाएं सीमित हो सकती हैं।
फैसले की दिशा तय करने वाले कारक
- वरिष्ठता बनाम कार्यक्षमता: केवल वरिष्ठता काफी नहीं है, शासन अब परफॉर्मेंस और छवि के आधार पर निर्णय लेना चाहता है।
- राजनीतिक समीकरण: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ तालमेल और भरोसा भी एक अहम घटक होगा।
- सेवा अवधी: सरकार लंबे समय तक सेवा देने वाले अधिकारी को तैनात करना चाहेगी, ताकि बार-बार बदलाव से बचा जा सके।
- दिल्ली कनेक्शन: केंद्र में अच्छा संपर्क रखने वाले अधिकारियों के नामों पर विशेष ध्यान दिया जा सकता है।
कब होगा ऐलान
डीजीपी प्रशांत कुमार के 31 मई को रिटायर होने से पहले मई के तीसरे या चौथे सप्ताह में राज्य सरकार नया नाम फाइनल कर सकती है। इस फैसले से पहले गृह मंत्रालय से सलाह-मशविरा भी संभावित है।महिलाओं की सलाह से बदलेंगे यूपी के शहर: अमृत-दो योजना में महिला सहभागिता से होगा समग्र शहरी विकास
पुलिस महकमे में उत्सुकता: सिर्फ प्रशासनिक गलियारों में ही नहीं, बल्कि पूरे पुलिस महकमे और राजनीतिक हलकों में भी यह चर्चा जोरों पर है कि किस अफसर को यह जिम्मेदारी दी जाएगी। क्या कोई महिला अफसर इतिहास बनाएगीया कोई केंद्रीय तैनाती वाला अधिकारी यूपी की कमान संभालेगा। सवाल कई हैं, पर उत्तर जल्द सामने आने वाला है।