हाथी-घोड़े के साथ निकली पदयात्रा
प्रेमानंद महाराज ने तड़के 2 बजे वृंदावन की श्री कृष्णम शरणम् सोसाइटी से पदयात्रा की शुरुआत की। लगभग दो किलोमीटर की यात्रा तय कर वे रमणरेती स्थित अपने आश्रम, केली कुंज, पहुंचे। इस भव्य यात्रा में सबसे आगे घोड़े चल रहे थे, उनके पीछे ऊंटों की कतार थी।
भक्तों में दिखा उत्साह
इनके पश्चात विभिन्न राज्यों के वाद्य यंत्रों से गूंजती धार्मिक ध्वनियां माहौल को भक्तिमय बना रही थीं। महिलाएं सिर पर कलश धारण किए हुए प्रेमानंद महाराज के आगे-आगे श्रद्धा भाव से चल रही थीं। भक्तों ने उनके जन्मदिन की शुभकामनाओं में कोई कमी न रहने देने के लिए पूरी निष्ठा और उत्साह से प्रयास किया। देश के कोने-कोने से आए श्रद्धालु
संत प्रेमानंद जी महाराज के दर्शन के लिए जम्मू, हरियाणा, राजस्थान और महाराष्ट्र से लोग आये हुए थें। सभी महाराज की एक झलक पाने की कोशिश में थें। महाराज के भक्तों ने पदयात्रा में डेरा जमा जमा लिया था। जिसे जहां जगह मिली वहीं बैठ गया। प्रेमानंद जी महाराज ने हाथ उठाकर सभी भक्तों का अभिवादन स्वीकार किया।