भाजपा नेता ने आरोप लगाया है कि लिपिक गगन सिंह की नियुक्ति वर्ष 1992 में मऊ जिला पूर्ति कार्यालय में हुई थी, जबकि उस समय नियुक्ति के लिए रोजगार कार्यालय में पंजीकरण अनिवार्य था। गगन सिंह मूल रूप से बिहार राज्य के गुलनी कुशहां गांव के निवासी हैं, ऐसे में नियमानुसार उनका पंजीकरण उत्तर प्रदेश में संभव नहीं था। इसके बावजूद नियमों को दरकिनार कर उन्हें नियुक्त किया गया।
जनसूचना अधिकार के तहत प्राप्त दस्तावेजों के आधार पर भाजपा नेता ने दावा किया कि लिपिक ने हाईस्कूल 1983 में पास किया बताया है, जबकि प्रमाण पत्र वर्ष 2005 में जारी हुआ। इसके अलावा उन्होंने इंटरमीडिएट की परीक्षा 1991 में पास की, जिसका प्रमाण पत्र वर्ष 2016 में प्राप्त हुआ। अंक पत्र की छायाप्रति पर 6 जनवरी 2016 की तिथि अंकित है। इन तथ्यों से यह स्पष्ट होता है कि फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नियुक्ति की गई और वर्षों तक राजकीय कोष से वेतन लिया गया।
आरोप है कि शिकायत के बावजूद तत्कालीन जिला पूर्ति अधिकारी विकास गौतम ने कार्रवाई करने की बजाय आरोपी को संरक्षण प्रदान किया। इस मामले को गंभीरता से लेते हुए कोर्ट ने पुलिस को मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई के निर्देश दिए।
इस संबंध में एसपी इलामारन जी ने बताया कि मामला संज्ञान में है। कोर्ट के आदेश पर एफआईआर दर्ज कर ली गई है और मामले की जांच जारी है।