“सीमित संसाधनों में सीमित परिवार ज़रूरी” – डॉ. ताहिर अली
कार्यशाला को संबोधित करते हुए डॉ. ताहिर अली ने कहा, “हमारे संसाधन सीमित हैं, इसलिए आबादी को सीमित रखना भी आवश्यक है। दो बच्चों के जन्म के बीच कम से कम तीन साल का अंतर न सिर्फ महिला के स्वास्थ्य के लिए बेहतर है, बल्कि मातृ और शिशु मृत्यु दर को भी कम करता है।” उन्होंने नवदंपतियों को सलाह दी कि वे शादी के कम से कम दो साल बाद ही बच्चे की योजना बनाएं, ताकि वे एक-दूसरे को समझ सकें, आर्थिक रूप से सक्षम हो सकें और बेहतर भविष्य की नींव रख सकें।
पीएसआई इंडिया के प्रतिनिधि केवल सिंह सिसोदिया ने “Postpartum Family Planning (PPFP)” यानी प्रसव के बाद परिवार नियोजन के महत्व पर विस्तृत चर्चा की। उन्होंने कहा कि पीपीएफपी के तहत कंडोम, गोली, आईयूडी, इंजेक्शन, पुरुष व महिला नसबंदी जैसे आधुनिक गर्भनिरोधक साधनों की जानकारी दी जाती है जिससे अनचाहे गर्भ से बचाव होता है और स्तनपान को भी बढ़ावा मिलता है।
“सभी सेवाएं मुफ्त, प्रशिक्षित डॉक्टरों की देखरेख में उपलब्ध”, प्रियंका तिवारी-
कार्यशाला का संचालन कर रहीं प्रियंका तिवारी ने बताया कि जिला महिला चिकित्सालय में ये सभी सेवाएं पूरी तरह निशुल्क हैं और प्रशिक्षित डॉक्टरों एवं स्टाफ द्वारा प्रदान की जाती हैं। उन्होंने महिलाओं से अपील की कि वे परिवार नियोजन के लिए आगे आएं और समाज को स्वस्थ और सशक्त बनाएं।
प्रतिभागियों को मिला सम्मान
कार्यशाला में परिवार नियोजन की जानकारी को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करने वाले प्रतिभागियों को पुरस्कृत भी किया गया। कार्यक्रम का समापन अस्पताल मैनेजर डॉ. मिथलेश कुमार ने धन्यवाद ज्ञापन के साथ किया।