शिंदे गुट की साजिश है- ठाकरे
शिवसेना (उद्धव गुट) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने इस मामले पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “वो हमारे विधायक नहीं हैं, वो शिंदे गुट के हैं। मुझे लगता है कि मुख्यमंत्री (देवेंद्र फडणवीस) को बदनाम करने की साजिश चल रही है। ये सब जानबूझकर किया जा रहा है, इसके पीछे बड़ा षड्यंत्र हो सकता है, इसलिए मुख्यमंत्री को अपना एंटीना ऑन रखना चाहिए, जिससे इस तरह कि चीजें उन्हें पता चल सके।“ महाराष्ट्र के पूर्व सीएम ठाकरे ने आगे कहा, एकनाथ शिंदे खुद मुख्यमंत्री बनना चाहते थे लेकिन उन्हें नहीं बनाया गया, इसलिए अब वह अधीरता में इस तरह की हरकतें कर रहे हैं।” उनके इस बयान से साफ है कि वे इस पूरे विवाद के राजनीतिक मायने निकालते हुए शिंदे सेना और फडणवीस सरकार को घेरने का प्रयास कर रहे हैं।
CM फडणवीस ने की एक्शन कि मांग
विधान परिषद में आज महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी इस मामले पर सख्त रुख दिखाते हुए कहा, “एक जनप्रतिनिधि द्वारा इस तरह का व्यवहार न केवल अस्वीकार्य है, बल्कि यह सभी विधायकों की गरिमा को ठेस पहुंचाता है।” उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जनप्रतिनिधियों की जवाबदेही तय होनी चाहिए और ऐसे कृत्यों पर सख्ती से कार्रवाई होनी चाहिए। वहीँ, इस मामले पर कांग्रेस नेता नाना पटोले ने कहा, “केंद्र की सरकार को लोकतांत्रिक व्यवस्था पर भरोसा नहीं है। इसलिए चुनाव आयोग के साथ मिलकर खुदको जिताने का रास्ता बनाते रहते हैं…आज महाराष्ट्र में सत्ता पक्ष के एक विधायक ने एक कैंटीन स्टाफ को जिस तरह से मारा, इनपर सत्ता की मस्ती छाई है। इनको जनता का डर ही खत्म हो गया है।”
शिवसेना विधायक ने बचाव में क्या कहा?
विवाद बढ़ने पर सफाई देते हुए शिंदे गुट के विधायक संजय गायकवाड़ ने कहा, “मैं 30 साल से आकाशवाणी कैंटीन आ रहा हूं और साढ़े पांच साल से यहां रह रहा हूं। मैंने कई बार इन्हें समझाया कि खाना अच्छा दिया करो। अंडे 15 दिन पुराने, नॉन-वेज 15-20 दिन पुराने, सब्ज़ियां 2-4 दिन पुरानी… यहां लगभग 5,000-10,000 लोग खाना खाते हैं, और सबकी यही शिकायत है। किसी के खाने में छिपकली निकलती है, तो किसी के खाने में चूहा निकलता है। मैंने कल रात 10 बजे खाना ऑर्डर किया और पहला निवाला खाते ही मुझे लगा कि कुछ गड़बड़ है…मैं नीचे गया और मैनेजर से पूछा कि ये खाना किसने दिया है। मैंने सबको खाना सुंघाया, और सबको खाना खराब लगा। मैंने उन्हें फिर समझाया कि अच्छा खाना दिया करो, आप लोगों की जान के साथ खेल रहे हैं… हर भाषा में समझाने के बाद भी वह नहीं सुधरे तो मुझे अपने अंदाज में बात करनी पड़ी।”