क्या है पूरा मामला?
यह मामला साल 1995 का है, जब माणिकराव कोकाटे पर दस्तावेजों में हेरफेर और धोखाधड़ी का आरोप लगाया गया था। इस मामले में पूर्व मंत्री तुकाराम दिघोले (Tukaram Dighole) ने शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत के आधार पर धारा 420, 465, 471 और 47 के तहत मामला दर्ज किया गया था। लंबे समय तक चली सुनवाई के बाद आज नासिक जिला न्यायालय ने उन्हें और उनके भाई को दो साल की सजा सुनाई। मंत्री पद और विधायकी छिनेगी?
न्यायालय के इस फैसले से कोकाटे के राजनीतिक भविष्य पर संकट के बादल मंडराने लगे है। यदि किसी जनप्रतिनिधि को दो साल या उससे अधिक की सजा होती है, तो उसकी विधानसभा सदस्यता रद्द हो सकती है। ऐसे में माणिकराव कोकाटे का विधायक और मंत्री पद दोनों जा सकता है। हालांकि अजित पवार गुट के नेता कोकाटे इस फैसले को ऊपरी अदालत में चुनौती दे सकते है। यदि वहां भी उन्हें राहत नहीं मिली तो यह उनके राजनीतिक करियर को बड़ा अघात पहुंचा है।