महाराष्ट्र में कांग्रेस पार्टी के नए प्रदेश अध्यक्ष के रूप में हर्षवर्धन सपकाल की नियुक्ति राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बन गई। सभी को उम्मीद थी कि पार्टी नेतृत्व किसी आक्रामक और अनुभवी नेता को यह जिम्मेदारी सौंपेगा। खासकर, जब कांग्रेस हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में करारी हार के बाद कठिन दौर से गुजर रही है। इसलिए पार्टी के भीतर ही इस फैसले को लेकर कई तरह की चर्चाएं हो रही हैं।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण (Prithviraj Chavan) समेत सतेज पाटिल (Satej Patil) और विश्वजीत कदम (Vishwajeet Kadam) जैसे बड़े नेता भी सपकाल को इतना महत्वपूर्ण पद दिए जाने के फैसले से हैरान है।
जब हर्षवर्धन सपकाल का नाम सामने आया, तो कई नेताओं ने इसे चौंकाने वाला फैसला बताया। पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा, “जब मुझसे यह पद संभालने के लिए कहा गया, तो मैंने महसूस किया कि यह जिम्मेदारी युवा नेताओं को दी जानी चाहिए। लेकिन जब सपकाल का नाम घोषित हुआ, तो मैं हैरान रह गया, क्योंकि उनका नाम चर्चा में भी नहीं था। मुझे लगा था कि कोल्हापुर के सतेज पाटिल को यह पद मिलेगा, क्योंकि हमने उनका नाम हाईकमान को सुझाया था। शायद पाटिल ने इस पद को लेने से मना कर दिया।”
हालांकि कांग्रेस के कोल्हापुर जिला अध्यक्ष सतेज पाटिल ने इस बात से इनकार किया कि वह प्रदेश अध्यक्ष नहीं बनाये जाने से नाराज है। उन्होंने सपकाल की नियुक्ति को सही बताया है। कांग्रेस नेता ने कहा, पार्टी ने सही फैसला लिया है। सपकाल संगठनात्मक व्यक्ति हैं और उनके पास पार्टी को फिर से मजबूत करने की क्षमता है। वे तटस्थ व्यक्ति हैं, जिससे वे पार्टी के सभी नेताओं और कार्यकर्ताओं से संवाद बना सकते हैं।
पार्टी नेता सचिन सावंत ने कहा, “सपकाल लंबे समय से पार्टी में हैं। वे NSUI के अध्यक्ष रह चुके हैं। पार्टी हाईकमान ने हर पहलू पर विचार करने के बाद ही यह फैसला लिया होगा।”
कांग्रेस प्रवक्ता अतुल लोंढे ने पार्टी नेतृत्व के फैसले को सही ठहराते हुए कहा, सपकाल पार्टी के वफादार रहे हैं और उनके पास अच्छा संगठनात्मक कौशल है। वह पार्टी के पंचायती राज संगठन के उपाध्यक्ष भी हैं।
सपकाल के नाम पर हैरानी क्यों?
हर्षवर्धन सपकाल 2014 से 2019 तक महाराष्ट्र के बुलढाणा से विधायक रहे हैं, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में उन्होंने प्रदेश की राजनीति में ज्यादा सक्रियता नहीं दिखाई। कांग्रेस के कई नेता मानते हैं कि जब विपक्षी गठबंधन महाविकास अघाडी (MVA) की सरकार थी, तब भी सपकाल की राजनीतिक उपस्थिति न के बराबर थी, और जब एमवीए सरकार गिरी, तब भी उन्होंने पार्टी को मजबूती देने के लिए कोई पहल नहीं की। हालांकि अब जब उन्होंने नाना पटोले (Nana Patole) की जगह ले ली है, तो उनके सामने कांग्रेस को फिर से संगठित करने की चुनौती होगी। साथ ही सपकाल को शरद पवार और उद्धव ठाकरे जैसे दिग्गज नेताओं से तालमेल बिठाना होगा, क्योंकि कांग्रेस एमवीए का हिस्सा है, जिसमें एनसीपी शरद पवार गुट और शिवसेना उद्धव गुट भी शामिल है।
बहरहाल, प्रदेश कांग्रेस के नेताओं, पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं की निगाहें अब इस बात पर टिकी हैं कि हर्षवर्धन सपकाल पार्टी को कैसे नेतृत्व देते हैं। पार्टी के अंदर गुटबाजी और नाराजगी को वह कैसे दूर करते हैं।