क्या है पूरा मामला?
मामला उस वक्त तूल पकड़ गया जब मई महीने में कुछ मुस्लिम कर्मचारियों का एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें वे शनि चौथरा (मंदिर का मुख्य भाग) की रंगाई-पुताई करते नजर आए। इसके बाद हिंदू संगठनों ने विरोध जताते हुए सवाल उठाया हिंदू मंदिर में मुस्लिम कर्मचारी कैसे? इस मुद्दे को लेकर महाराष्ट्र मंदिर महासंघ ने भी विरोध जताया, वहीँ सकल हिंदू समाज ने 14 जून को मोर्चा निकालने की चेतावनी दी। इस आंदोलन से पहले ही ट्रस्ट ने 167 कर्मचारियों को हटाने का निर्णय ले लिया।
ट्रस्ट के अनुसार, हटाए गए 114 मुस्लिम कर्मचारियों में से कोई भी प्रत्यक्ष रूप से मंदिर परिसर में नियुक्त नहीं था। ये कर्मचारी मंदिर ट्रस्ट के कृषि, कचरा प्रबंधन और शिक्षा विभाग में कार्यरत थे। इनमें से 99 कर्मचारी पिछले पांच महीनों से काम पर नहीं आ रहे थे और उनका वेतन भी लंबित था।
ट्रस्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि कार्रवाई में अन्य गैर-मुस्लिम कर्मचारी भी शामिल हैं और यह फैसला धार्मिक नहीं, प्रशासनिक कारणों से लिया गया है। इस मामले ने एक बार फिर मंदिरों में कर्मचारियों की नियुक्ति और धार्मिक पहचान को लेकर बहस छेड़ दी है। हालांकि, ट्रस्ट की ओर से लिया गया फैसला प्रशासनिक कारणों पर आधारित बताया जा रहा है।