बिहार राजद अध्यक्ष पद के लिए मंगनी लाल मंडल ने भरा नामांकन (Photo-IANS)
RJD New President: बिहार में साल के अंत तक विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election) होना है। इससे पहले राष्ट्रीय जनता दल में बड़ा बदलाव होना है। विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी को नया प्रदेश अध्यक्ष (RJD New President) मिलने वाला है, इसको लेकर शनिवार को मंगनी लाल मंडल ने अपना नामांकन दाखिल किया। इस मौके पर लालू प्रसाद यादव भी मौजूद रहे। मंगनी लाल मंडल का निर्विरोध चुना जाना लगभग तय है, क्योंकि उनके अलावा किसी अन्य ने नामांकन नहीं किया। आधिकारिक घोषणा 19 जून को होगी।
राजद के अध्यक्ष पद के लिए मंगनी लाल मंडल का नामांकन पत्र दाखिल होने के बाद तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने कहा कि आज नामांकन की प्रक्रिया पूरी की गई है। बड़ी खुशी की बात है कि आज हम भी प्रस्तावक बने हैं। मंगनी लाल मंडल का नामांकन हुआ है।
‘राजद जनता की बात करती है’
तेजस्वी यादव ने कहा कि हमारी पार्टी जनता की बात करती है। गरीबों की बात करती है, सबको साथ लेकर चलती है। हम लोग सभी मिलकर बिहार को आगे बढ़ाएंगे और नया बिहार बनाएंगे।
मंगनी लाल मंडल का सियासी सफर
मंगनी लाल मंडल बिहार की राजनीति में एक अनुभवी चेहरा हैं। उनका जन्म 1949 में मधुबनी जिले के फुलपरास प्रखंड के गोरगमा में हुआ था। छात्र जीवन में समाजवादी नेता कर्पूरी ठाकुर से प्रभावित होकर उन्होंने राजनीति में कदम रखा। मंडल 1986 से 2004 तक बिहार विधान परिषद के सदस्य रहे और इस दौरान लालू यादव की सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रहे। इसके अलावा, वे 2004 से 2009 तक राज्यसभा और 2009 से 2014 तक लोकसभा सांसद रहे। मंडल की राजनीतिक यात्रा में एक महत्वपूर्ण मोड़ 2019 में आया, जब उन्होंने आरजेडी छोड़कर जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) का दामन थामा। हालांकि, 2024 में जेडीयू से टिकट न मिलने पर नाराज होकर वे 6 जनवरी 2025 को फिर से आरजेडी में लौट आए।
लालू ने मंडल के नाम पर क्यों खेला दांव
मंगनी लाल मंडल को प्रदेश अध्यक्ष बनाना लालू और तेजस्वी यादव की सुनियोजित रणनीति का हिस्सा है। मंडल अति पिछड़ा वर्ग (EBC)से आते हैं। बिहार में EBC एक निर्णायक वोटबैंक है। लालू यादव का यह फैसला EBC वोटरों को साधने और उत्तर बिहार, खासकर मिथिलांचल क्षेत्र में आरजेडी की खोई जमीन वापस पाने की कोशिश है। मिथिलांचल में मंडल का प्रभाव और उनकी मृदुभाषी छवि पार्टी के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है।
मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह, जो राजपूत समुदाय से हैं, लंबे समय से पार्टी की गतिविधियों से दूरी बनाए हुए थे। उनकी निष्क्रियता और तेजस्वी यादव के नेतृत्व से कुछ मतभेदों ने पार्टी में बदलाव की जरूरत को बढ़ाया। मंडल का चयन न केवल जातीय समीकरण साधने के लिए है, बल्कि यह लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद आत्ममंथन का नतीजा भी है।
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