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नागौर

बाहरी बदमाशों की नागौर में घुसपैठ बढ़ी, डालते अस्थाई डेरा और वारदात के बाद रफूचक्कर

चोरी-नकबजनी व लूट जैसी आपराधिक वारदात को अंजाम देने वाले बदमाशों में बाहरी लोगों की संख्या कम नहीं हैं। वारदात के बाद पुलिस के हत्थे चढ़े इन शातिरों में अधिकांश बाहरी प्रदेश या जिले के पाए गए।

नागौरJan 05, 2025 / 08:11 pm

Sandeep Pandey

चोरी व नकबजनी ही नहीं लूट के करीब पचास फीसदी आरोपी बाहरी

-बिना दस्तावेज जांच के रखते हैं नौकर अथवा किराएदार

पड़ताल –

केस-1

गांधी चौक स्थित एसबीआई बैंक में रुपए निकालने आए पशु चिकित्सा सहायक के बैग से पांच लाख रुपए चोरी। वारदात में निरुद्ध नाबालिग गुजरात के पालनपुर के रहने वाले निकले।

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केस-2

कुछ समय पहले पुरानी धानमंडी में शादी के लिए खरीदारी करने आए एक जने का साढ़े चार लाख रुपए से भरा बैग बाल अपचारी ले भागा। एक गिरोह के तहत वह ऐसी वारदात करता था। ये मध्यप्रदेश के थे।
केस-3

पिछले साल सदर बाजार स्थित एक ज्वैलरी शोरूम से करीब तीन तोला सोने के जेवरात पार करने वाली महिलाएं पकड़ी गईं तो पता चला कि ये कोटा की थीं ।

नागौर.चोरी-नकबजनी व लूट जैसी आपराधिक वारदात को अंजाम देने वाले बदमाशों में बाहरी लोगों की संख्या कम नहीं हैं। वारदात के बाद पुलिस के हत्थे चढ़े इन शातिरों में अधिकांश बाहरी प्रदेश या जिले के पाए गए। पिछले कुछ बरसों से यह चलन सामने आया है। चोरी-नकबजनी और लूट के पचास फीसदी आरोपी बाहरी निकलते हैं।
कुछ साल पहले टिम्बर मार्केट में मोबाइल शोरूम में हुई लाखों की नकबजनी का मामला हो या गैस चूल्हा ठीक करने के बहाने राठौड़ी कुआं स्थित एक मकान से लाखों के जेवरात ले जाने का। यही नहीं सुपारी किलर संदीप उर्फ शेट्टी हत्याकाण्ड हो या ऐसे ही अनगिनत अपराध। स्थानीय अपराधी कम तो बाहरी ज्यादा पाए जा रहे हैं।
सूत्रों का कहना है कि पिछले पांच साल में चोरी-नकबजनी/लूट जैसे अधिकांश मामले जब खुले तो बाहरी अपराधियों की नागौर में बढ़ती घुसपैठ ने पुलिस तक को सकते में ला दिया। इसकी सबसे बड़ी वजह यह सामने आई है कि बाहरी बदमाशों की निगरानी ठीक से नहीं हो रही। शहर में संदिग्ध अथवा बाहरी लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है। पुलिस से सत्यापन करवाए बिना ही किराए पर अथवा होटल तक में लोगों को शरण दी जाती है। वारदात के बाद आखिर ये पकड़े जाएं तो कैसे।
सोने-चांदी के जेवरात बनाने वाले कई सर्राफा व्यापारियों के यहां ऐसी वारदात होना सामान्य है। किसी बंगाली अथवा बाहरी कारीगर को काम पर रख लेते हैं, उसके पहचान-पत्र तक की कॉपी तक नहीं लेते, ना ही पुलिस थाने से सत्यापन करवाते हैं। चंद दिनों के बाद मौका पाकर ये माल लेकर भाग छूटते हैं। एक बार तो काम करने वाला कारीगर ही लूट का मास्टर माइंड निकला।
ऐसे करते रैकी और बदलते ठिकाना

सूत्र बताते हैं कि अधिकांश पकड़े गए बाहरी बदमाश स्थाई कम, अस्थाई डेरा ज्यादा डालते हैं। जरुरत पडऩे पर जगह बदल लेते हैं। इनके साथ महिला अथवा बुजुर्ग भी होते हैं, जो वारदात के दौरान साथ नहीं रहते। अधिकांश चोरी/लूट के लिए इनकी पहली प्राथमिकता बैंक अथवा सोना-चांदी की दुकान होती है। ये लोग स्टेशन के पास अथवा दूरदराज कम बसावट वाले क्षेत्र अथवा हाइवे पर रहने का अस्थाई बसेरा बनाते हैं। दिन में रैकी करते हैं, वारदात के बाद नहीं रुकते। चुराया गया माल लेते ही किसी साथी को थमा देते हैं जो तय ठिकाने चला जाता है। ये कभी भी साथ नहीं जाते। वारदात के लिए एक-दो दिन ही नहीं ज्यादा दिन का भी इंतजार कर लेते हैं, बस माल ज्यादा मिलना चाहिए। वारदात को अंजाम देने के बाद एक दिन भी नहीं ठहरते, ठिकाने बदलते रहते हैं।
बिना सत्यापन के ही रखते किराएदार..

यही नहीं ऐसी अनेक आपराधिक वारदातें हुई जिसमें कुछ दिन पहले आए किराएदार की उसमें संदिग्ध भूमिका पाई गई। बाद में उसका ना कोई आईडी-प्रुफ ना ही कोई अन्य दस्तावेज मिला, ऐसे में उसे पकड़ें तो कैसे। मजे की बात यह है कि किराएदार का मोबाइल नम्बर तक मकान मालिकों के पास नहीं होता। बताया जाता है कि कई मकानों में रह रहे किराएदार से केवल किराया लेने तक ही मकान-मालिक का संवाद रहता है, बाकी उसके यहां कौन आता-जाता है, वो क्या करता है, इससे कोई लेना-देना नहीं होता। यह केवल मकान-मालिक किराएदार नहीं, दुकान/शोरूम या फैक्ट्री-गोदाम पर रखे जाने वाले नौकर/कारीगर के मामले में भी हालात कोई खास अच्छे नहीं हैं। वैध दस्तावेज के बिना रहने वालों की पहचान नहीं हो रही, ऐसे में संदिग्धों की तादात बढ़ रही है।
पुलिस का दावा..

उधर, पुलिस का दावा है कि नागौर शहर में बंगालियों का वैरिफिकेशन शुरू कर दिया है। जिन ज्वैलर के यहां बंगाली अथवा अन्य बाहरी कारीगर काम कर रहे हैं, उनके मूल निवास की आधार कॉर्ड की कॉपी, मोबाइल नम्बर समेत अन्य जानकारी एकत्र की जा रही है।
इनका कहना…

व्यापारी हो या मकान मालिक, इस मामले में सतर्क रहना चाहिए। नौकर/किराएदार से आईडी समेत अन्य जरूरी दस्तावेज लेने चाहिए। इनका सत्यापन करवाने में भी सहयोग करें। किराए अथवा काम पर रखने से पहले संबंधित व्यक्ति की पूरी जानकारी करनी चाहिए। जरा सी गलती पर बड़ा नुकसान उठाना पड़ता है।
-नारायण टोगस, एसपी नागौर

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चोरी-नकबजनी की वारदात करने वालों में अधिकांश बाहरी निकल रहे हैं, अब सर्राफा कारोबारियों से बातचीत कर पहले ज्वैलर शोरूम/दुकान पर काम करने वाले बंगाली कारीगरों का सत्यापन किया जा रहा है। कई बंगाली कारीगर काम करने के बहाने यहां से माल लेकर चंपत हो गए।
-वेदपाल शिवराण, सीआई, कोतवाली, नागौर।

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