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नागौर

विडम्बना : शिक्षा सत्र खत्म होने को आया, अब तक नहीं दी कम्पोजिट स्कूल ग्रांट की राशि

संस्था प्रधानों के लिए स्कूल संचालन करना हुआ मुश्किल, जेब से भर रहे बिजली बिल सहित अन्य खर्चे, मार्च में खत्म नहीं की तो हो जाएगी लेप्स, कम्पोजिट स्कूल ग्रांट देने में हर बार की यही कहानी

नागौरFeb 19, 2025 / 11:10 am

shyam choudhary

School news
नागौर. राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद की ओर से राजकीय विद्यालयों को कम्पोजिट स्कूल ग्रांट (सीएसजी) का बजट समय पर जारी नहीं करने से विद्यालय मूलभूत आवश्यकताओं के लिए तरस रहे हैं। वित्तीय वर्ष में केवल डेढ़ माह का समय शेष बचा है। स्कूलों को अब तक केवल 10 प्रतिशत राशि दी गई है, जबकि मार्च तक ग्रांट की राशि खर्च नहीं की तो मार्च में बजट ही लेप्स हो जाएगा।
संस्था प्रधानों का कहना है कि वित्तीय वर्ष 31 मार्च को सम्पाप्त होने जा रहा है, लेकिन अब तक सीएसजी की लिमिट केवल दस प्रतिशत ही जारी हुई है, जबकि चालू शिक्षा सत्र के 10 माह बीत चुके हैं। हर साल स्कूलों को मिलने वाली कम्पोजिट स्कूल ग्रांट की पूरी राशि अब तक भी राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद से जारी नहीं की गई है। इससे स्कूलों में मूलभूत सुविधाओं का ढांचा चरमराने को है। इस कम्पोजिट ग्रांट राशि से स्कूलों के पानी-बिजली के बिल, टूट-फूट मरम्मत, स्टेशनरी तथा शौचालय सफाई आदि का भुगतान किया जाता है। समय पर ग्रांट नहीं मिलने से स्कूलों के पानी-बिजली के बिल संस्था प्रधान अपनी जेब से भर रहे हैं, जबकि स्टेशनरी खरीद तथा शौचालय की सफाई आदि के भुगतान भी अटके हुए हैं। गौरतलब है कि राज्य के सभी सरकारी स्कूलों को मिलती है।
निर्देश तो ये हैं…

कम्पोजिट स्कूल ग्रांट की राशि का उपयोग फरवरी तक पूरा करने के निर्देश हैं। इसमें 40 प्रतिशत राशि जुलाई से सितम्बर तक, 30 प्रतिशत राशि अक्टूबर से दिसम्बर तक तथा शेष 30 प्रतिशत राशि का उपयोग जनवरी से फरवरी तक करने के लिए राज्य परियोजना निदेशक ने निर्देश दिए थे, लेकिन दुर्भाग्य से राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद ही समय पर ग्रांट की राशि जारी नहीं करती।
सीधे नहीं मिलती राशि, पीईईओ व यूसीईईओ को देते हैं…

प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों के पास आय का कोई स्रोत नहीं है, ऐसे में उनके लिए दैनिक आवश्यकताओं वाले खर्चे निकालना मुश्किल हो रहा है। संस्था प्रधानों को स्कूलों के बिजली के बिल भी सीएसजी से चुकाने होते हैं, लेकिन यह राशि वित्तीय वर्ष के अंत में जारी की जाती है, जबकि समय पर बिल जमा नहीं कराने पर पेनल्टी लगती है, ऐसे में संस्था प्रधानों को अपनी जेब से बिल भरने पड़ते हैं। सीएसजी की राशि भी सीधे संस्था प्रधानों को जारी नहीं की जाती। इसके लिए शिक्षा विभाग ने लिमिट तय कर रखी है, जो एसएनए (सिंगल नोडल एकाउण्ट) को जारी होती है। ये ग्राम पंचायत मुख्यालय के सीनियर स्कूल के प्रधानाचार्य /पंचायतप्रारम्भिक शिक्षा अधिकारी (पीईईओ) होते हैं, इसी प्रकार शहरी क्षेत्र में शहरी कलस्टरप्रारम्भिक शिक्षा अधिकारी (यूसीईईओ) होते हैं, जिनके एसएनए खातों को लिमिट जारी होती है। ऐसे में संस्था प्रधानों को अपने खर्चों का भुगतान करने के लिए पीईईओ व यूसीईईओ के पास जाना पड़ेगा।
हमारे स्तर पर राशि पेंडिंग नहीं

कम्पोजिट स्कूल ग्रांट की जो राशि अब तक राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद से हमें मिली है, वो हमने जारी कर दी है, लेकिन संस्था प्रधान उस राशि को भी खर्च नहीं कर रहे हैं। जब तक पहले जारी राशि खर्च नहीं होगी, तब तक आगे की राशि नहीं मिलेगी। हम प्रयास कर रहे हैं कि अब तक जारी राशि खर्च हो जाए, ताकि शेष राशि जल्द ही मिल सके।
– रामनिवास जांगीड़, एडीपीसी, समग्र शिक्षा अभियान, नागौर

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