सूत्रों के अनुसार तीनों नाबालिगों को बाल न्यायालय में पेश करने पर उन्हें बाल सप्रेषण गृह में भेज दिया। वारदात में शामिल दो अन्य की तलाश में पुलिस टीमें संभावित ठिकानों पर दबिश दे रही है। इनमें से एक मास्टर माइण्ड है जिसकी योजना के तहत इस वारदात को अंजाम दिया गया।
सूत्र बताते हैं कि निरुद्ध तीन नाबालिगों में एक जीजा तो दो उसके साले हैं। अभी शादी को मात्र दस दिन हुए हैं। दूल्हा-दुल्हन दोनों नाबालिग हैं। गुजरात के पालनपुर में शादी करने के बाद ये फिर वापस झोपड़ पट्टी में आ गए थे। जहां से सोमवार को योजना के तहत पांच जने गांधी चौक स्थित एसबीआई आए। फरार दो में से एक ने ही यहां शिकार करने की पूरी योजना बनाई थी।
मौका देखकर दो अन्य शातिर भाग निकले
हैड कांस्टेबल महावीर ने बताया कि रात करीब बारह बजे वे वहां पहुंच गए। सूचना देने वाले के साथ चाय वाले को बुलाया तो पांच-सात झोपड़पट्टी की तरफ उसने इशारा किया कि यहां हो सकते हैं। इस बीच नाले के पास पड़ी चप्पल को देखकर उनका माथा ठनका, मोबाइल पर वारदात के दौरान एक शातिर ने भी ऐसी ही चप्पल पहनी हुई थी। कांस्टेबल गरीबराम के साथ झोपड़पट्टी में भीतर सो रहे एक बारह-तेरह साल के नाबालिग को उठाया तो उसके पहने कपड़े भी हूबहू निकले। इसके साथ पास ही बनी दूसरी झोपड़ पट्टी से दो अन्य को साथ लिया। इस बीच मौका देखकर दो अन्य शातिर भाग निकले।
अपनी ही फोटो से मुकरे, बोलते रहे झूठ
असल में सोमवार को वारदात के बाद नागौर से वारदात में शामिल इन सभी शातिरों के फोटो व्हाट्स एप ग्रुप में वायरल हो गए। इनकी स्टेशन से निकलने की सूचना भी पुता हो गई। इधर, जोधपुर पाली रोड स्थित जेएनयू के न्यू कैपस के पास मगराम की चाय की थड़ी पर तीनों चाय पीने पहुंचे, वहां शभू को इनके फोटो देखकर ऐसा लगा कि ये पास की झोपड़ पट्टी वाले हैं। इस पर उसने कोतवाली सीआई वेदपाल शिवराण को फोन पर इनकी सूचना दी। सीआई ने हैड कांस्टेबल महावीर व कांस्टेबल गरीबराम को रात करीब दस बजे कोतवाली से जोधपुर के लिए रवाना किया। इनको पकडऩे के दौरान खास बात यह रही कि तीनों नाबालिग आखिर तक झूठ बोलते रहे। स्टेशन पर बंद सीसीटीवी कैमरे बने परेशानी का सबब
नागौर स्टेशन पर सौंदर्यीकरण का कार्य चल रहा है। इस दौरान यहां के सभी सीसीटीवी कैमरे करीब छह माह से बंद पड़े हैं। बैंक में हुई वारदात के बाद आरोपी यहां भी आए पर सीसीटीवी कैमरे नहीं होने से उनके कोई फुटेज ही नहीं मिल पाए। ट्रेन ना मिलने के कारण वो यहां से बस में रेण गए और वहां से जोधपुर निकले।
कोतवाली सीआई वेदपाल शिवराण का कहना है कि बैंक हो या कोई भी ऐसा काम जहां कैश/ज्वैलरी का लेन-देन होता है, ऐसे ही चिन्हित स्थानों पर बदमाश-लुटेरे वारदात करते हैं। बैंक कृषि मण्डी की हो या गांधी चौक की, अधिकांश लोग कैश लेने बैग लेकर आते हैं। जरा सी रैकी से ये निशाने पर आ जाते हैं। इसके लिए रकम ज्यादा हो तो एहतियात अधिक बरता जाए।
अकेले ना आएं और रकम ले जाने के तौर-तरीकों को बदलें। बैंक में किसी पर विश्वास ना करें। शादी अथवा सफर में बस/ट्रेन से आने-जाने के दौरान किसी को बैग ना दें, इसका भी ध्यान रखें कि ऐसी शातिर गैंग नाबालिग बच्चों को आगे कर वारदात करा रही है। बैंक प्रशासन अनावश्यक घुसपैठ को रोके, सिक्योरिटी को टाइट करें। बढ़ती टैक्सियों के बीच सबकुछ गड़बड़ चल रहा है, अनावश्यक स्थानों पर टैक्सियां खड़ी हो जाती है। इस दौरान सवारियों को बैठाने पर भी नजर रखें।