Nagaur patrika…न तो खुद का भवन, और न बजट तो फिर प्रदेश के आंगनबाड़ी केन्द्रों में कैसे बनेंगे रेन हार्वेस्टिंग सिस्टम
पिछले साल निदेशालय ने प्रदेश के आंगनबाड़ी केन्द्रों में नहीं लगवाए जाने के दिए थे निर्देश नागौर. प्रदेश के आंगनबाड़ी केन्द्रों में एक साल बाद भी रेन हार्वेस्टिंग सिस्टम नहीं लग पाया। जबकि विभाग के निदेशालय की ओर से गत वर्ष जिलों के उपनिदेशकों को केन्द्रों की सूची का अनुमोदन ग्राम सभाओं में कराए जाने […]


पिछले साल निदेशालय ने प्रदेश के आंगनबाड़ी केन्द्रों में नहीं लगवाए जाने के दिए थे निर्देश नागौर. प्रदेश के आंगनबाड़ी केन्द्रों में एक साल बाद भी रेन हार्वेस्टिंग सिस्टम नहीं लग पाया। जबकि विभाग के निदेशालय की ओर से गत वर्ष जिलों के उपनिदेशकों को केन्द्रों की सूची का अनुमोदन ग्राम सभाओं में कराए जाने के बाद संबंधित जिलों के जिला परिषदों में सौंपनी थी। विभागीय जानकारों की माने तो आदेश तो जारी कर दिया गया था कि लेकिन विभाग के करीब प्रदेश में चल रहे 62 हजार आंगनबाड़ी केन्द्रों में 50 प्रतिशत में खुद का भवन ही नहीं है। जहां पर खुद भवन है भी तो भवन की ढांचागत स्थिति ही सही नहीं है। बजट का भी अभाव है। इसके लिए गत वर्ष आदेश तो जारी होने के बाद अलग से कोई बजट तक नहीं दिया। इसके चलते राजधानी जयपुर से लेकर प्रदेश के तमाम जिलों में यह कागजी आदेश बनकर रह गया।
खुद का भवन ही नहीं
राजस्थान में 61 हजार 885 आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हैं। इसमें से 26 हजार 981 विभागीय भवन में चल रहे है। 365 परियोजना कार्यालय संचालित हो रहे है। कई जगहों पर इनके पास ही खुद का भवन नहीं है। प्रदेश में सबसे ज्यादा आंगनबाड़ी केन्द्र राजधानी में 4254 है। जबकि जैसलमेर में सबसे कम 804 जैसलमेर केंद्र संचालित है। अधिकारियों का मानना है कि अधिकांश केन्द्रों में पानी की समस्या बनी रहती है। विशेषकर गर्मी के दिनों में स्थिति ज्यादा विकट रहती है। इनकी स्थिति यह है कि इसमें से कुछ केन्द्र या तो स्कूलों में संचालित है या फिर किराए की बिल्डिंग में संचालित है।
इस वजह से लिया था रेन हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाने का फैसला
राजस्थान के कई आंगनबाड़ी केंद्रों में नलकूप सूखने के साथ ही कुओं का जल स्तर नीचे चला गया है। इस कारण पानी उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। बारिश का जल व्यर्थ ही बह जाता है इसे ध्यान में रखते हुए आंगनबाड़ी केद्रों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनवाने का निर्णय किया गया था। इसके बाद निदेशालय स्तर पर ही योजना बनाकर केन्द्रों की सूचियां बनाकर उपनिदेशकों के मार्फत जिला परिषदों को दिए जाने के निर्देश जारी कर दिए गए थे।
जिले के केन्द्रों में भी खत्म हो जाता जल संकट
जिले में1475 आंगनबाड़ी केन्द्र हैं। इनमें से केवल 475 केन्द्र ही विभागीय भवन में संचालित है। इसमें से 50 प्रतिशत से ज्यादा केन्द्रों में जल संकट बना रहता है है। शेष भवनों में जल जीवन मिशन के तहत पानी के कनेक्शन हो गए है।ऐसे में इन भवनों में अगर रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनने से बच्चों को शुद्ध पानी मिल सकेगा और पानी की समस्या भी खत्म हो जाती।
नागौर जिले में आंगनबाड़ी केन्द्रो ंपर एक नजर
परियेाजनावार आंगनबाड़ी केन्द्रों की संख्या
डेगाना 228
जायल 241
खींवसर 191
मेड़तासिटी 261
मूण्डवा 187
नागौर 248
रियां 194
रेन हार्वेस्टिम सिस्टम में यह है बाधा
विभागीय जानकारों के अनुसार विभाग के खुद के भवनों की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। रेन हार्वेेस्टिंग सिस्टम बनाए जाने पर टांका आदि का निर्माण कराया जाता, लेकिन इसके लिए एक व्यवस्थित भवन चाहिए। ऐसे एक भी भवन विभाग के पास नहीं हैं। इसके अलावा इसके क्रियान्वयन के लिए केवल एक केन्द्र में करीब 56 हजार की राशि का व्यय खुद विभाग को वहन करना पड़ेगा। अब ऐसे में विभाग को 62 हजार केन्द्रों के लिए करोड़ों के बजट की आवश्यकता होगी। इसके लिए राज्य सरकार की ओर से अलग से केन्द्रवार बजट का आवंटन किए जाने के साथ ही विभागीय स्तर पर भवनों की व्यवस्था किए जाने पर ही इस योजना को अमलीजामा पहनाया जा सकता है।
इनका कहना है…
प्रदेश के सभी जिलों के आंगनबाड़ी केन्द्रों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम विकसित करने की योजना है। इसके लिए बजट आदि के साथ ही खुद के भवन की भी आवश्यकता होती है। संसाधन अपर्याप्त होने के बाद भी इसके क्रियान्वयन के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। हालांकि जिलों के जिला परिषद चाहें तो भी खुद के स्तर पर केन्द्रों में इसका क्रियान्वयन करा सकते हैं।
ओ. पी. बुनकर, निदेशक, समेकित, बाल विकास सेवाएं, जयपुर
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