परिषद के अतिरिक्त राज्य परियोजना निदेशक सुरेश कुमार बुनकर ने गत 2 अप्रेल को सभी जिलों के समग्र शिक्षा के अतिरिक्त जिला परियोजना समन्वयकों को निर्देश देकर पिछले तीन सालों में खरीदी गई खेल सामग्री का रिकॉर्ड मांगा है। यह जानकारी देने में अब संस्था प्रधानों को जोर आ रहा है। निदेशक ने समग्र शिक्षा परियोजना के अंतर्गत प्रति वर्ष सरकारी स्कूल में खेल सामग्री के क्रय व रखरखाव के लिए जारी की गई स्पोर्ट्स ग्रांट की राशि से सत्र 2021-22, 2022-23 व 2023-24 के अंतर्गत सभी स्कूलों में राशि के उपयोग व क्रय की गई खेल सामग्री की सूचना निर्धारित प्रपत्र में मांगी है।
कई जगह राशि का उपयोग नहीं किया
निदेशक ने यह जानकारी पांच दिन मांगी थी, जो आज तक नहीं दी जा सकी। इसकी प्रमुख वजह जानकारी ज्यादा विस्तृत व जटिल होना बताया जा रहा है। सूत्रों का कहना है कि कुछ संस्था प्रधानों ने खेल सामग्री के लिए मिली राशि का उचित उपयोग भी नहीं किया, इसलिए उन्हें अब निर्धारित प्रपत्र में जानकारी देना भारी पड़ रहा है।
ये भी उठे सवाल
आपूर्तिकर्ता फर्म का नाम अभी तक क्यों उजागर नहीं, टेंडर प्रक्रिया क्या रही। शिकायत मिलने के बाद फर्म पर कार्रवाई क्यों नहीं। फर्म का किसी नेता या मंत्री से कनेक्शन तो नहीं जिसे बचाया जा रहा है। घटिया सामग्री से कैसे खेलेगा राजस्थान।
खेल सामग्री की गुणवत्ता कठघरे में
गौरतलब है कि राज्य स्तर से टेंडर प्रक्रिया अपनाकर स्कूलों में पहुंचाई गई खेल सामग्री की गुणवत्ता को लेकर सवाल खड़े हुए थे। राजस्थान पत्रिका ने भी प्रदेश के विभिन्न जिलों में समाचार प्रकाशित कर खेल सामग्री की गुणवत्ता की पोल खोली थी। इसके बाद शिक्षक संगठनों ने नागौर सहित अन्य जिलों में ज्ञापन सौंपकर सप्लाई की गई खेल सामग्री की जांच की मांग उठाई थी।
30 से अधिक कॉलम… यह मांगी जानकारी
शिक्षा परिषद ने एक प्रपत्र जारी किया है, जिसमें 30 से अधिक कॉलम बनाए गए हैं । इनमें टेनिस बॉल क्रिकेट, क्रिकेट, वॉलीबॉल, फुटबॉल, कबड्डी, शूटिंगबॉल, रस्साकशी, खो-खो, बास्केटबॉल, एथलेटिक्स सहित अन्य खेतों की क्रय की गई सामग्री की जानकारी भरनी है। साथ ही खेल सामग्री क्रय के लिए व्यय की गई कुल राशि, क्रय की गई खेल सामग्री का बिल क्रमांक व दिनांक, स्टॉक रजिस्टर में कौनसे पेज पर इन्द्राज है तथा उपयोगिता प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करने का पत्रांक मय दिनांक की जानकारी मांगी है।