श्यामलाल चौधरी नागौर। ‘स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का वास होता है। इसलिए शारीरिक विकास के लिए व्यायाम जरूरी है, जो हमें खेलों के माध्यम से प्राप्त होता है।’ खेल ग्रांट से जुड़े दिशा-निर्देशों में लिखी यह बात शिक्षा विभाग के अधिकारियों के लिए बेमानी साबित है।
वह इसलिए कि शिक्षा सत्र बीतने को है और स्कूल शिक्षा परिषद ने अब तक खेल सामग्री खरीदने के लिए बजट जारी नहीं किया है। अधिकारियों का कहना है कि मुख्यालय स्तर पर टेंडर करके स्कूलों में खेल सामग्री पहुंचाई जाएगी, जबकि संस्था प्रधानों का कहना है कि इस व्यवस्था से खेल सामग्री की गुणवत्ता प्रभावित होगी।
स्कूलों में हर वर्ष खेल ग्रांट दी जाती है। इससे संस्था प्रधान आवश्यकता अनुसार खेल सामग्री खरीदते हैं, जबकि ऊपर से आने वाली सामग्री में स्कूल की आवश्यकता को दरकिनार किया जाएगा। परिषद हर वर्ष कक्षा एक से पांच तक के विद्यालयों को 5 हजार रुपए, कक्षा 1 से 8 तक के विद्यालयों को 10 हजार तथा उच्च माध्यमिक विद्यालय के लिए 25 हजार का बजट देती है। यह राशि सितंबर-अक्टूबर तक जारी की जाती है। इस बार मार्च तक न तो बजट दिया और न ही खेल सामग्री दी। शैक्षणिक सत्र 2023-24 में अक्टूबर में राशि हस्तांतरित कर दी थी।
पहले भी लग चुके सवालिया निशान
शिक्षा विभाग ने इससे पहले मुख्यालय स्तर पर समान परीक्षा के प्रश्न-पत्र छपवाए थे, उसके बदले स्कूलों से अधिक राशि वसूली, जो कि काफी चर्चा का विषय रहा। अब खेल सामग्री परिषद स्तर पर खरीदी जाएगी। इसमें गुणवत्ता के साथ स्कूलों की आवश्यकता का ध्यान रख पाना मुश्किल होगा। खेल ग्रांट जारी नहीं करने से विद्यालयों में खेल सामग्री नहीं खरीदी गई है। विद्यार्थियों को उधार की खेल सामग्री या फिर दानदाताओं से पैसे लेकर काम चलाया है।
स्कूल शिक्षा परिषद स्तर पर टेंडर करके खेल सामग्री
इस बार स्कूल शिक्षा परिषद स्तर पर टेंडर करके खेल सामग्री खरीदी गई है। सामग्री जल्द ही ब्लॉक स्तर पर सप्लाई की जाएगी। वहां से स्कूलों को वितरित होगी। -रामनिवास जांगिड़, एडीपीसी, समसा, नागौर