विभाग के लिए खतरनाक साबित हो रहे ऐसे कार्मिक नशे की तस्करी में संलिप्त पाए गए पुलिस विभाग के अधिकारी व कर्मचारियों पर तस्करों को पैसे लेकर छोडऩे, पुलिस विभाग की गुप्त जानकारी तस्करों को देने जैसे आरोप हैं। इनमें कुछ तो तस्करों के साथ मिलकर खुद के वाहनों से अफीम, स्मैक सहित अन्य मादक पदार्थ एवं नशीली गोलियां आदि की तस्करी करते पकड़े गए। एक पुलिसकर्मी तो निलम्बन काल के दौरान मुख्यालय से गैर हाजिर होकर स्मैक की तस्करी में पकड़ा गया। एक जना उदयपुर से जोधपुर जाने वाली बस में सफर के दौरान टिफिन में अफीम का दूध भर तस्करी करता पकड़ा गया। एक ने तस्करों को अवैध मादक पदार्थ उपलब्ध करवा दिया। एक पुलिसकर्मी ने तो हद कर दी। मादक पदार्थ तस्कर दो पुलिसकर्मियों पर फायरिंग कर भाग रहे थे, जिन्हें रास्ता बताया व नाकाबन्दी से निकालने का काम किया।
35 के खिलाफ दर्ज हुए मामले गृह विभाग ने बताया कि प्रदेश में एक जनवरी 2019 से 31 दिसम्बर 2023 तक ड्रग्स की तस्करी के मामलों में राजस्थान पुलिस के कुल 66 अधिकारियों एवं कार्मिकों की संलिप्तता पाई जाने पर 35 अधिकारी/कर्मचारी के विरूद्ध 31 प्रकरण तथा उक्त दर्ज प्रकरणों के अतिरिक्त 31 अधिकारी/कर्मचारियों के विरूद्ध विभागीय जांच संस्थित की गई।
58 को किया सस्पेण्ड ड्रग्स की तस्करी के मामलों में संलिप्तता पाए जाने पर पुलिस विभाग के 58 अधिकारी/ कर्मचारियों को सस्पेण्ड किया गया। इनमें से 23 को वापस बहाल कर दिया गया।
चित्तौड़, भीलवाड़ा व सिरोही में ज्यादा मामले एक जनवरी 2019 से 31 दिसम्बर 2023 तक की समयावधि में ड्रग्स तस्करी के मामले में संलिप्त पुलिस विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ प्रकरण दर्ज किए गए। इसमें सबसे अधिक छह प्रकरण चित्तौडगढ़़ जिले में, 5 भीलवाड़ा में तथा चार-चार सिरोही व तृतीय बटालियन में दर्ज किए गए। इसी प्रकार जोधपुर व पाली में भी तीन-तीन प्रकरण दर्ज किए गए। अन्य जिलों में टोंक, जयपुर, चूरू, करोली, बाड़मेर, उदयपुर, प्रतापगढ़ आदि हैं, जहां एक से दो मामले पुलिस कार्मिकों के खिलाफ दर्ज किए गए।
इन छह जिलों में स्थिति ज्यादा गंभीर पुलिस विभाग के अधिकारियों/कर्मचारियों की पिछले पांच सालों में ड्रग्स तस्करी के मामलों में संलिप्तता/भूमिका के जो मामले सामने आए हैं, उनमें प्रदेश के मात्र छह जिलों के नाम हैं। इनमें बालोतरा में एक, बीकानेर में तीन, गंगानगर में चार, प्रतापगढ़ में छह तथा चित्तौडगढ़ में 17 अधिकारी/कर्मचारी संलिप्त पाए गए।
यह तो बड़ा अपराध है अपराधों को रोकने का जिसका जिम्मा है, यदि वही अपराध करता है तो यह ज्यदाबड़ा अपराध है। अपराधी, अपराधी होता है, इसलिए उसके ?खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। न कि पुलिस विभाग का होने पर कोई रियायत दी जाए।
– के. राम बागडिय़ा, सेवानिवृत्त डीजीपी उच्च स्तर पर निगरानी भी रखी जाती है कानून सबके लिए एक है। पुलिसकर्मी हो या फिर अन्य सरकारी कर्मचारी। अपराधियों से मिलीभगत करने पर सभी के खिलाफ कार्रवाई की जाती है। उच्च स्तर पर इसके लिए निगरानी भी रखी जाती है।
– दिनेश एमएन, एडीजी क्राइम, राजस्थान