चंडोला तालाब में शुरू हुआ अभियान
चंडोला तालाब क्षेत्र में अप्रैल 2025 के अंत में शुरू हुए इस अभियान में पहले चरण में करीब 2000-4000 अवैध संरचनाएं, जिनमें मकान, दुकानें, गोदाम और फार्महाउस शामिल थे, को ढहाया गया। 29 अप्रैल को शुरू हुई इस कार्रवाई में 70 बुलडोजर, 200 डंपर और 2000 से ज्यादा पुलिसकर्मियों के साथ 1000 नगर निगम कर्मियों को तैनात किया गया था। स्थानीय पुलिस कमिश्नर ज्ञानेंद्र सिंह मलिक ने बताया कि इस क्षेत्र में अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों की मौजूदगी की जांच के बाद यह कार्रवाई शुरू की गई, जिसमें 180 से अधिक अवैध बांग्लादेशी नागरिकों की पहचान की गई थी।
राखियाल में भी कार्रवाई
चंडोला के बाद, प्रशासन ने राखियाल में गुजरात हाउसिंग बोर्ड की जमीन पर बने 20 से अधिक अवैध कारखानों, दुकानों और एक अस्थायी प्रार्थना स्थल को भी ध्वस्त कर दिया। यह कार्रवाई 15 मई 2025 को हुई, जिसमें अवैध अतिक्रमण को हटाने के लिए भारी पुलिस बल तैनात किया गया था।
दूसरा चरण शुरू
20 मई 2025 से चंडोला क्षेत्र में अवैध अतिक्रमण हटाने का दूसरा चरण शुरू हो चुका है। इस चरण में 2.5 लाख वर्ग मीटर से अधिक क्षेत्र से अवैध निर्माण हटाए जा रहे हैं। इसके लिए 3000 से अधिक पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस कार्रवाई से कई परिवार बेघर हो गए हैं, जिनमें से कुछ अल्पसंख्यक समुदाय से हैं।
पुनर्वास की योजना
एएमसी ने चंडोला तालाब के आसपास 2010 से पहले से रह रहे लोगों के लिए पुनर्वास की योजना को सैद्धांतिक मंजूरी दी है। करीब 10,000 ईडब्ल्यूएस (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग) मकानों का निर्माण चल रहा है, जो अगले 12 महीनों में तैयार होने की उम्मीद है। पात्र लोगों को 70 वर्ग मीटर के मकान दिए जाएंगे, जिनकी लागत लगभग 3 लाख रुपये प्रति मकान होगी।
विवाद और कानूनी कार्रवाई
इस अभियान को लेकर कुछ विवाद भी सामने आए हैं। चंडोला तालाब के निवासियों ने गुजरात हाई कोर्ट में याचिका दायर कर कार्रवाई पर रोक लगाने की मांग की थी, लेकिन कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया, यह कहते हुए कि चंडोला तालाब एक अधिसूचित जलाशय है, जहां कोई निर्माण अनुमति नहीं दी गई थी। इसके अलावा, लल्लू बिहारी उर्फ लल्लू पठान जैसे व्यक्तियों के खिलाफ आपराधिक साजिश और सरकारी संपत्ति पर कब्जा करने के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की गई है।
सामाजिक और राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
इस कार्रवाई को गुजरात सरकार और पुलिस ने “राष्ट्रीय सुरक्षा” और “अवैध गतिविधियों” पर नियंत्रण के लिए जरूरी बताया है। हालांकि, कुछ निवासियों और संगठनों ने इसे अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ लक्षित कार्रवाई करार दिया है। स्थानीय लोगों ने शिकायत की कि उन्हें सामान हटाने के लिए पर्याप्त समय नहीं दिया गया।