इसलिए है रुख पर संशय
इस साल फरवरी में जम्मू-कश्मीर के तीन सरकारी कर्मचारियों को आतंकी गतिविधियों से नाता रखने के आरोप में उपराज्यपाल (एलजी) मनोज सिन्हा ने बर्खास्त कर दिया था। सीएम उमर ने इसे मनमाने ढंगे से बर्खास्तगी बताते हुए सवाल उठाए थे। पिछले साल गांदरबल में हुए आतंकी हमले में 7 लोगों की जान गई तो उमर ने इसे उग्रवादी हमला करार दिया था। इसके अलावा भी उनके कई बयान अलगाववादियों के प्रति नरम रुख जाहिर करते हैं।
कहीं पानी न फिर जाए, इसलिए हिचक
अनुच्छेद 370 का खात्मा कर प्रदेश की कमान संभालने के बाद केंद्र ने मिशन मोड में विकास कार्यों की गति बढ़ाई वहीं आतंकियों के प्रति सख्ती और जीरो टोलरेंस की नीति अपनाई। यह नीति कारगर रही और 2019 से पहले की तुलना में आतंकी घटनाओं में 70% की कमी आई। पत्थरबाजी समाप्त हो गई। शांति से हुए विधानसभा चुनाव में ऐतिहासिक मतदान हुआ। सूत्रों के मुताबिक, केंद्र अभी घाटी के हालात में और सुधार लाने के उपायों में जुटी है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने ‘पत्रिका’ से कहा कि हालात पूरी तरह सुधार की ओर हैं, ऐसे में थोड़ी भी ढिलाई बरती गई या राज्य सरकार का रुख नरम हुआ तो आशंका है कि किए कराए पर पानी न फिर जाए। केंद्र सरकार कतई ऐसा नहीं चाहती, इसलिए पूर्ण राज्य का दर्जा देने की जल्दबाजी नहीं की जाएगी।
कैसे घोषित होगा पूर्ण राज्य
प्रदेश को पूर्ण राज्य का दर्जा देने के लिए उमर सरकार ने पहली कैबिनेट में ही प्रस्ताव पारित कर एलजी को भेज दिया था। राजभवन ने 19 अक्टूबर 2024 को इसे गृह मंत्रालय भेज दिया है। जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 के जरिए राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में पुर्नगठित किया गया था। इसलिए पुन: राज्य का दर्जा देने के लिए लोकसभा और राज्यसभा में नए कानूनी बदलाव पारित करने होंगे। उसके बाद ही प्रक्रिया से जम्मू-कश्मीर फिर से पूर्ण राज्य बन पाएगा।