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UNESCO के मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर में शामिल हुई भगवद गीता और नाट्यशास्त्र, PM मोदी ने बताया गर्व का क्षण

श्रीमद्भगवद्गीता और भरत मुनि के नाट्यशास्त्र को यूनेस्को के मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर में अंकित किया गया है। इस पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हर भारतीय के लिए गर्व का क्षण है।

भारतApr 18, 2025 / 02:42 pm

Shaitan Prajapat

Bhagavad Gita, Natyashastra added to UNESCO’s Memory of World Register: श्रीमद्भगवद्गीता और भरत मुनि के नाट्यशास्त्र को यूनेस्को के मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर (Memory of the World Register) में शामिल किया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस खबर पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए इसे हर भारतीय के लिए गर्व का क्षण बताया। यूनेस्को ने गुरुवार को जिन 74 नई प्रविष्टियों को इस रजिस्टर में जोड़ा है, उनमें ये दोनों महत्वपूर्ण ग्रंथ भी शामिल हैं। इसके साथ ही इस रजिस्टर में कुल 570 संग्रह हो गए हैं।

पीएम मोदी बोले- हर भारतीय के लिए गर्व का क्षण

प्रधानमंत्री मोदी ने शुक्रवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, श्रीमद्भगवद्गीता और नाट्यशास्त्र का यूनेस्को में शामिल होना हमारी शाश्वत परंपरा, गहन ज्ञान और समृद्ध संस्कृति की वैश्विक मान्यता है। यह हर भारतीय के लिए गर्व का क्षण है। उन्होंने आगे कहा कि गीता और नाट्यशास्त्र ने सदियों से मानव सभ्यता, चेतना और सांस्कृतिक विकास को दिशा दी है। इनकी शिक्षाएं आज भी दुनियाभर के लोगों को प्रेरणा देती हैं।

गजेंद्र सिंह शेखावत ने बताया ऐतिहासिक उपलब्धि

केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने भी इस उपलब्धि को ऐतिहासिक बताया। उन्होंने कहा, भारत की सांस्कृतिक धरोहर को यह वैश्विक सम्मान मिलना अत्यंत गौरवपूर्ण है। अब यूनेस्को के विश्व स्मृति रजिस्टर में भारत के 14 अभिलेख दर्ज हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि गीता और नाट्यशास्त्र केवल ग्रंथ नहीं, बल्कि भारतीय दर्शन, कलात्मकता और सभ्यता के स्तंभ हैं।
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यूनेस्को की इस सूची में जिन अन्य 74 संग्रहों को स्थान मिला है, उनमें दासता, महत्वपूर्ण ऐतिहासिक महिलाओं से जुड़ी सामग्री, जिनेवा कन्वेंशन (1864–1949), और मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा जैसे ऐतिहासिक दस्तावेज भी शामिल हैं। इनमें से 14 संग्रहों को वैज्ञानिक दस्तावेजी धरोहर के रूप में मान्यता दी गई है।
यह फैसला न केवल भारत की सांस्कृतिक विरासत को नई पहचान देता है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए गौरव और प्रेरणा का स्रोत भी बनेगा।

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