2020 में RJD को मुस्लिमों का कितना समर्थन?
2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में RJD ने 75 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरने के बावजूद सत्ता से दूरी बनाए रखी। इस
चुनाव में RJD को मुस्लिम वोटरों का अच्छा खासा समर्थन मिला था। विभिन्न पोस्ट-पोल सर्वे और आंकड़ों के अनुसार, RJD को करीब 75–80% मुस्लिम वोट मिले थे। यह समर्थन मुख्य रूप से उन क्षेत्रों में केंद्रित था, जहां AIMIM की मौजूदगी सीमित थी।
2015 बनाम 2020: क्या बदला?
2015 में जब RJD ने JDU और
कांग्रेस के साथ मिलकर महागठबंधन बनाया था, तब मुस्लिम वोटों का लगभग 85% समर्थन महागठबंधन के साथ गया था, जिसमें RJD की हिस्सेदारी मजबूत थी। लेकिन 2020 में
JDU के अलग हो जाने के बाद AIMIM ने मैदान में उतरकर मुस्लिम वोटों में सेंधमारी शुरू की और कुछ हद तक सफल भी रही।
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2020 बिहार चुनाव में AIMIM ने कुल 20 उम्मीदवार मैदान में उतारे थे, जिनमें से 5 उम्मीदवार जीतने में सफल रहे। खासतौर पर सीमांचल क्षेत्र—किशनगंज, अररिया, कटिहार, पूर्णिया आदि जिलों में AIMIM ने अप्रत्याशित प्रदर्शन किया। पार्टी को कुल मिलाकर 1.24% वोट शेयर मिला, जो मामूली दिख सकता है, लेकिन जिन सीटों पर पार्टी लड़ी, वहां पर उसका असर निर्णायक था।
किन सीटों पर RJD को नुकसान?
AIMIM की जीत वाली पांचों सीटें—अमौर, कोचाधामन, जोकीहाट, बहादुरगंज और बायसी—ऐसे इलाकों में थीं जहां मुस्लिम आबादी 60% से ज्यादा है। इन सीटों पर RJD भी मजबूत दावेदार थी लेकिन मुस्लिम वोटों के बंटवारे के चलते जीत AIMIM की झोली में चली गई। इन सीटों पर AIMIM ने न सिर्फ RJD बल्कि कांग्रेस को भी नुकसान पहुंचाया, जो महागठबंधन का हिस्सा थी।
2024-25 में क्या होगा असर?
अगर आने वाले लोकसभा चुनाव या 2025 के विधानसभा चुनाव में ओवैसी की पार्टी ने सीमांचल के बाहर भी अपने उम्मीदवार उतारे और मुस्लिम वोटों को बांटना जारी रखा, तो इससे तेजस्वी यादव के मुख्यमंत्री बनने की राह और मुश्किल हो जाएगी। चूंकि यादव वोट पर पहले से ही NDA की निगाह है और दलित वोटों पर JDU का असर बना हुआ है, ऐसे में मुस्लिम वोटों में सेंध RJD के लिए राजनीतिक अस्तित्व का संकट खड़ा कर सकती है।
सीमांचल में RJD को AIMIM की टक्कर
AIMIM भले ही बिहार की मुख्यधारा की बड़ी पार्टी न हो, लेकिन सीमांचल और मुस्लिम बहुल इलाकों में उसका प्रभाव RJD के लिए खतरे की घंटी है। अगर मुस्लिम वोट एकजुट नहीं रहे, तो तेजस्वी यादव का सीएम बनने का सपना एक बार फिर सिर्फ सपना ही रह सकता है।