दहेज के लिए की पत्नी की हत्या
कमांडो पर दहेज के लिए अपनी पत्नी की हत्या करने का आरोप है। उसने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण करने से छूट मांगते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। कमांडो ने कोर्ट से कहा कि मैं एक ब्लैक कैट कमांडो हूं और पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान के खिलाफ चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर का हिस्सा रह चुका हूं और पिछले 20 सालों से राष्ट्रीय राइफल्स में तैनात हूं। बता दे कि नेशनल सिक्योरिटी गार्ड के जवानों को आमतौर पर ब्लैक कैट कमांडो कहा जाता है।
कमांडो होना घर पर अपराध करने की छूट नहीं
यह मामला एक विशेष अनुमति याचिका के तहत सर्वोच्च अदालत में आया था। लेकिन कोर्ट ने कमांडो की दलील को खारिज करते हुए सरेंडर से छूट देने से इनकार कर दिया। न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा, सिर्फ इसलिए कि आप कमांडो है आपको घर पर अपराध करने की छूट नहीं मिलती है। यह दर्शाता है कि आप शारीरिक रूप से कितने सक्षम है और आपने अकेले ही अपनी पत्नी की गला घोंट कर हत्या कर दी होगी।
कोर्ट से नहीं मिली कोई रोहत
कोर्ट ने कहा कि आरोपी पर गला घोंट कर हत्या करने का आरोप है और उसे छूट नहीं दी जा सकती है। इससे पहले हाई कोर्ट भी कमांडो को किसी भी तरह की छूट देने से इनकार कर चुका है। कमांडो पर धारा 304 बी के तहत दहेज के लिए पत्नी की हत्या करने का मामला दर्ज है। आरोप है कि कमांडो ने दहेज में मोटरसाइकिल की मांग की थी। हालांकि कमांडो के वकील का कहना है कि इस आरोप के समर्थन में केवल दो गवाह है जो दोनों ही कमांडो की मृत पत्नी के करीबी रिश्तेदार है और दोनों अविश्वसनीय है।
समर्पण के लिए दिया दो हफ्ते का समय
इसके बावजूद कोर्ट ने कमांडो को किसी भी तरह की छूट देने से मना कर दिया है। कोर्ट ने याचिका पर अभियोजन पक्ष से जवाब मांगते हुए छह सप्ताह में नोटिस लौटाने का निर्देश दिया है। हालांकि कमांडो ने समर्पण करने के लिए कुछ समय मांगा था जिसके लिए कोर्ट ने उसे दो हफ्ते का समय दिया है।