इसके अलावा, सड़क दुर्घटनाओं में 36 लोगों की जान चली गई। कुल्लू, चंबा और सोलन जिलों में यातायात संबंधी दुर्घटनाओं में सबसे ज्यादा मौतें दर्ज की गई हैं।
मंडी में 27 लोगों के लापता होने की सूचना
राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ) की रिपोर्ट के अनुसार, मंडी जिला सबसे ज्यादा प्रभावित है। जहां पिछले 11 दिनों में ही बारिश से संबंधित 15 मौतें हुई हैं। वहीं, 27 लोगों के लापता होने की सूचना है। इसके अलावा, पांच अन्य घायल हुए हैं। मंडी में 16 मेगावाट की पटीकरी जलविद्युत परियोजना को भी बारिश से उत्पन्न आपदाओं के कारण गंभीर नुकसान हुआ है। इस बीच, संपत्ति और पशुधन को बड़ा नुकसान पहुंचा है। मंडी में कुल 844 घर और 631 गौशालाएं क्षतिग्रस्त हुईं हैं, जबकि 164 दुकानें, 31 वाहन और 14 पुल या तो नष्ट हो गए या बेकार हो गए हैं।
12 जुलाई तक, प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्ग NH-003 (मंडी-धर्मपुर वाया कोटली) और NH-21 (मंडी-कुल्लू) सहित कुल 247 सड़कें ब्लॉक होने की जानकारी मिली है। इसके अलावा, 463 बिजली ट्रांसफार्मर और 781 जलापूर्ति योजनाएं बाधित हुई हैं, जिससे स्थानीय समुदायों पर गंभीर प्रभाव पड़ा है।
16 राहत शिविरों में 534 लोगों को रखा गया
मंडी जिले में राहत अभियान पूरे जोर-शोर से चल रहा है। जिले भर के 16 राहत शिविरों में 534 लोगों को रखा गया है। प्रशासन ने प्रभावित परिवारों को 5,228 तिरपाल और 3,093 राशन किट वितरित किए हैं। बचाव प्रयासों के तहत 290 लोगों को निकाला गया है, जिनमें 92 छात्र और दो गर्भवती महिलाएं शामिल हैं, जिन्हें भारतीय वायुसेना ने हवाई मार्ग से निकाला है। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, भारतीय सेना, आईटीबीपी और होमगार्ड सहित कई बचाव और राहत दल थुनाग, गोहर और करसोग जैसे गंभीर रूप से प्रभावित इलाकों में काम कर रहे हैं। इसके अलावा लंबाथाच और पखरैर जैसे दुर्गम क्षेत्रों में ड्रोन से निगरानी और चिकित्सा सहायता पहुंचाने का काम चल रहा है। हिमाचल प्रदेश में मानसून संबंधी आपदाओं के कारण कुल 751.78 करोड़ रुपये का नुकसान होने का अनुमान है। इसमें 368 घर, 295 दुकानें और 85 झोपड़ियां/मजदूर शेड पूरी तरह नष्ट हो गए हैं और हजारों हेक्टेयर कृषि और बागवानी फसलें प्रभावित हुई हैं।