ब्रह्मगुप्त और दशमलव प्रणाली
> ब्रह्मगुप्त ने ‘ब्रह्मस्फुटसिद्धांत’ (628 ई.) में शून्य (0) और दशमलव प्रणाली के नियमों को स्पष्ट किया। > उन्होंने बताया कि किसी भी संख्या को शून्य से गुणा करने पर उत्तर शून्य ही होगा (a × 0 = 0)।‘ब्रह्मस्फुटसिद्धांत’ की विशेषताएं
> यह पुस्तक गणित और खगोलशास्त्र का महत्त्वपूर्ण ग्रंथ है।> इसमें शून्य (0) की संकल्पना को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया था।
> ग्रहों की गति, चंद्रग्रहण और सूर्यग्रहण की भविष्यवाणी के लिए उपयोगी गणनाएं दी गईं। अरब गणितज्ञों, जैसे अल-ख्वारिज्मी और अल-बट्टानी, ने ब्रह्मगुप्त की गणनाओं से प्रेरणा ली।
ब्रह्मगुप्त के कार्यों ने यूरोप में पुनर्जागरण काल के गणितीय विकास को भी प्रभावित किया।