‘हार के बाद भी जीत का ढोल पीटता है…’ भारत का पाकिस्तान पर करारा प्रहार
India Pakistan Tension: “पाकिस्तान की पुरानी आदत है कि वह हारने के बाद भी जीत का ढोल पीटता है। 1971, 1975 और 1999 के कारगिल युद्ध में भी यही देखा गया।”
India Pakistan Conflict: भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल (Randhir Jaiswal) ने पाकिस्तान पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि उसका आतंकवाद को बढ़ावा देने का लंबा इतिहास रहा है और यह सोचना कि वह इसके परिणामों से बच सकता है, आत्म-मोह है। यह बयान पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार (Ishaq Dar) के एक हालिया साक्षात्कार के जवाब में आया, जिसमें उन्होंने भारत के खिलाफ बेबुनियाद दावे किए थे।
जायसवाल ने पाकिस्तान के रवैये को आड़े हाथों लेते हुए कहा, “पाकिस्तान की पुरानी आदत है कि वह हारने के बाद भी जीत का ढोल पीटता है। 1971, 1975 और 1999 के कारगिल युद्ध में भी यही देखा गया।” उन्होंने इस “ढोल बजाने” की प्रवृत्ति पर तंज कसते हुए कहा कि पाकिस्तान बार-बार खुद को बेवकूफ बना रहा है।
“औद्योगिक पैमाने पर आतंकवाद को बढ़ावा”
विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि पाकिस्तान ने “औद्योगिक पैमाने” पर आतंकवाद को पोषित किया है और इसके परिणामों से बचने की उसकी कोशिशें विफल रहेंगी। यह बयान ऑपरेशन सिंदूर 2 जैसे हालिया घटनाक्रमों और भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव के संदर्भ में महत्वपूर्ण है। जायसवाल ने कहा कि पाकिस्तान का इतिहास उसकी हकीकत को उजागर करता है और भारत उसकी बयानबाजी को गंभीरता से लेता है।
ऑपरेशन सिंदूर 2: भारत की नई नीति
मंगलवार को भारतीय सेना ने मानेकशॉ सेंटर में 70 देशों के राजनयिकों को ऑपरेशन सिंदूर 2 के बारे में जानकारी दी। डिफेंस इंटेलिजेंस एजेंसी के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल डीएस राणा ने बताया कि 21 संभावित ठिकानों में से 9 आतंकी ठिकानों को विश्वसनीय खुफिया जानकारी के आधार पर निशाना बनाया गया। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह कार्रवाई केवल सैन्य जवाब नहीं, बल्कि भारत-पाक संबंधों में नीति स्तर पर बदलाव का संकेत है।
आतंकवाद के खिलाफ भारत की कार्रवाई
जनरल राणा ने भारत विरोधी झूठे प्रचार अभियानों का रणनीतिक जवाब देने की बात भी उठाई, जो क्षेत्रीय शांति और स्थिरता को नुकसान पहुंचा रहे थे। सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए आतंकवाद के खिलाफ कठोर कार्रवाई की प्रतिबद्धता दोहराई थी। भारत के इस रुख को वैश्विक स्तर पर सुरक्षा और कूटनीति में नए दृष्टिकोण के रूप में देखा जा रहा है।
चीन-तुर्की का रवैया
इस विशेष ब्रीफिंग में पाकिस्तान के “ऑल वेदर फ्रेंड” चीन को आमंत्रित नहीं किया गया। वहीं, पाकिस्तान के अन्य करीबी मित्र तुर्की के रक्षा अताशे को न्योता मिला था, लेकिन उसने पाकिस्तान के साथ दोस्ती को प्राथमिकता देते हुए ब्रीफिंग में हिस्सा नहीं लिया।