इससे पहले वी.वी. गिरि (V.V. Giri) और आर. वेंकटरमन (R. Venkatraman) , दोनों ने ही राष्ट्रपति चुनाव लड़ने के कार्यकाल पूरा किए बिना ही बीच में ही पद से इस्तीफा दिया था। वी. वी. गिरी ने 20 जुलाई 1969 और आर. वेंकटरमन ने जुलाई 1987 में अपने कार्यकाल के बीच में इस्तीफा दिया था। वी. वी. गिरी (V.V. Giri resigned) के इस्तीफे के बाद गोपाल स्वरूप पाठक (Gopal Swaroop Pathak) और आर. वेंकटरमन (R. Venkataraman) की जगह शंकर दयाल शर्मा उपराष्ट्रपति (Shankar Dayal Sharma) बने थे। अब जगदीप धनखड़ के इस्तीफा देने के बाद कौन उनकी जगह संभालेगा? क्या उपराष्ट्रपति पद के लिए चनुाव कराए जाएंगे? ऐसे कई सारे सवालों के लिए संविधान में क्या व्यवस्था है, आइए यहां जानते हैं।
धनखड़ की जगह हरिवंश करेंगे कर्तव्यों का निर्वहन?
No Provision for Acting Vice President in Indian Constitution: संविधान में कार्यवाहक उपराष्ट्रपति का प्रावधान नहीं है लेकिन उपराष्ट्रपति राज्यसभा के पदेन सभापति भी होते हैं इसलिए उनकी अनुपस्थिति में उपसभापति उनके कर्तव्यों यानी सदन की अध्यक्षा करेंगे। वर्तमान में हरिवंश नारायण सिंह (Harivansh Narayan Singh, Deputy Chairman of the Rajya Sabha) उपसभापति हैं इसलिए वह सदन की अध्यक्षता करेंगे।
उपराष्ट्रपति पद के लिए कब होंगे चुनाव?
Article 68 : राष्ट्रपति पद के लिए संविधान के अनुसार रिक्त पद को छह महीने के भीतर भरना आवश्यक है लेकिन उपराष्ट्रपति पद के लिए ऐसी कोई निश्चित समयसीमा नहीं है। संविधान के अनुच्छेद 68 के खंड 2 के अनुसार, उपराष्ट्रपति के निधन, त्यागपत्र या पद से हटाए जाने या अन्य किसी कारण से होने वाली रिक्ति को भरने के लिए जल्द-जल्द चुनाव कराया जाएगा। चुनाव आयोग कार्यक्रम की घोषणा करेगा। यह चुनाव राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव अधिनियम, 1952 के तहत आयोजित किया जाता है। संसद के किसी भी सदन के महासचिव को बारी-बारी से निर्वाचन अधिकारी नियुक्त किया जाता है।
कितने समय तक के लिए चुना जाएगा उपराष्ट्रपति?
जगदीप धनखड़ ने कार्यकाल के बीच अपने पद का त्याग कर दिया तो इसका मतलब यह नहीं होगा कि नए राष्ट्रपति उनके बचे कार्यकाल को पूरा करेंगे। निर्वाचित उपराष्ट्रपति पदभार ग्रहण करने की तारीख से पूरे पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा करेगा।
उपराष्ट्रपति को चुनाव में क्या होता है कोटा?
What is Quota in Vice President Election? उपराष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों यानी लोकसभा और राज्यसभा के सदस्यों और मनोनीत सदस्यों से मिलकर बने एक निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाता है। उपराष्ट्रपति चुनाव में राष्ट्रपति चुनाव के विपरीत विधानसभाएं भाग नहीं लेतीं हैं। निर्वाचित घोषित होने के लिए किसी उम्मीदवार को आवश्यक न्यूनतम मतों की संख्या प्राप्त करना पड़ता है। इसे कोटा कहा जाता है। इसकी गणना कुल वैध मतों की संख्या को दो से भाग देकर और एक जोड़कर की जाती है। यदि पहले दौर में कोई भी उम्मीदवार कोटा पार नहीं करता है तब सबसे कम प्रथम वरीयता वाले मतों वाले उम्मीदवार को बाहर कर दिया जाता है और उनके मत द्वितीय वरीयता के आधार पर शेष उम्मीदवारों को हस्तांतरित कर दिए जाते हैं। यह प्रक्रिया तब तक जारी रहती है जब तक कि एक उम्मीदवार कोटा पार नहीं कर लेता।
उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों के लिए क्या होती है पात्रता?
उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लड़ने वाले व्यक्ति को भारत का नागरिक होना चाहिए। कम से कम 35 वर्ष का होना चाहिए। किसी भी संसदीय क्षेत्र में मतदाता के रूप में पंजीकृत होना चाहिए। उन्हें राष्ट्रपति, राज्यपाल या मंत्री जैसे पदों को छोड़कर, केंद्र या राज्य सरकारों के अधीन किसी भी लाभ के पद पर नहीं होना चाहिए।