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यशु-यशु वाले पादरी बजिंदर को ताउम्र कैद की सजा, रेप कांड में आया फैसला

कोर्ट ने सजा का ऐलान करते हुए कहा कि एक धार्मिक नेता के रूप में खुद को पेश करने वाला व्यक्ति इस तरह का जघन्य अपराध नहीं कर सकता।

भारतApr 01, 2025 / 12:58 pm

Anish Shekhar

पंजाब के चर्चित “यशु यशु” वाले पादरी बजिंदर सिंह को आज मोहाली की एक अदालत ने 2018 के जीरकपुर रेप कांड में ताउम्र कारावास की सजा सुनाई है। स्वयंभू पादरी बजिंदर सिंह, जो अपने चमत्कारी उपचार और प्रार्थना सभाओं के लिए मशहूर थे, को पिछले हफ्ते इस मामले में दोषी ठहराया गया था। अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश (एडीएसजे) विक्रांत गुप्ता ने सजा का ऐलान करते हुए कहा कि एक धार्मिक नेता के रूप में खुद को पेश करने वाला व्यक्ति इस तरह का जघन्य अपराध नहीं कर सकता, खासकर उन लोगों के खिलाफ जो उस पर आस्था रखते हैं। इस फैसले ने न केवल पीड़िता को न्याय दिलाया, बल्कि उन तमाम लोगों को राहत दी, जिन्होंने बजिंदर के खिलाफ अपनी आवाज उठाई थी।

2018 का जीरकपुर रेप कांड: क्या था मामला?

यह मामला 2018 का है, जब जीरकपुर की एक महिला ने बजिंदर सिंह के खिलाफ शिकायत दर्ज की थी। महिला ने आरोप लगाया था कि बजिंदर ने उसे विदेश भेजने का लालच देकर अपने मोहाली के सेक्टर 63 स्थित आवास पर बुलाया और वहां उसके साथ बलात्कार किया। इतना ही नहीं, उसने इस घटना का एक अश्लील वीडियो भी बनाया और धमकी दी कि अगर उसने उसकी मांगें नहीं मानीं, तो वह वीडियो सोशल मीडिया पर डाल देगा। पीड़िता ने बताया कि वह डर के मारे चुप रही, लेकिन आखिरकार उसने हिम्मत जुटाकर अप्रैल 2018 में जीरकपुर पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज की। इसके बाद बजिंदर के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (बलात्कार), 323 (जानबूझकर चोट पहुंचाना), और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत मामला दर्ज किया गया।

सात साल बाद मिला इंसाफ

इस मामले की सुनवाई सात साल तक चली, जिसमें कई बार बजिंदर को जमानत पर रिहा किया गया था। हालांकि, मार्च 2025 में मोहाली कोर्ट ने उनके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया था, जिसके बाद उन्हें पटियाला जेल में रखा गया। 28 मार्च को कोर्ट ने उन्हें दोषी करार दिया, और आज, 1 अप्रैल 2025 को, उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि यह सजा “ताउम्र कैद” है, यानी बजिंदर को मृत्यु तक जेल में रहना होगा, बिना किसी पैरोल या रिहाई की संभावना के। इस मामले में अन्य पांच आरोपियों—पादरी जतिंदर, अकबर, सत्तार अली, और संदीप पहलवान—को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया।

पीड़िता की प्रतिक्रिया: “कई लड़कियों को मिला इंसाफ”

फैसले के बाद पीड़िता ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा, “बजिंदर एक साइको है। अगर वह जेल से बाहर आया, तो फिर वही अपराध करेगा। आज मेरे साथ-साथ कई लड़कियों को इंसाफ मिला है। मैं डीजीपी से अनुरोध करती हूं कि हमारी सुरक्षा सुनिश्चित करें, क्योंकि हमें हमले का खतरा है।” पीड़िता ने यह भी बताया कि सुनवाई के दौरान उसे और उसके परिवार को धमकियां मिली थीं, और कई बार उसे बयान वापस लेने के लिए दबाव डाला गया था।

बजिंदर सिंह का इतिहास: चमत्कारों से अपराध तक

42 वर्षीय बजिंदर सिंह हरियाणा के यमुनानगर जिले से ताल्लुक रखते हैं और मूल रूप से एक हिंदू जाट परिवार से हैं। 2000 के दशक में वह एक हत्या के मामले में जेल गए थे, जहां उनकी मुलाकात एक नेपाली कैदी, पादरी शंकर बहादुर से हुई, जिसने उन्हें ईसाई धर्म में परिवर्तित कर दिया। 2012 में जेल से बाहर आने के बाद, बजिंदर ने चमत्कारी उपचार और प्रार्थना सभाओं के जरिए अपनी पहचान बनाई। वह “चर्च ऑफ ग्लोरी एंड विजडम” नामक संस्था चलाते थे, जिसके जालंधर के ताजपुर और मोहाली के माजरी में दो मुख्य केंद्र हैं। उनके यूट्यूब चैनल “प्रोफेट बजिंदर सिंह” के 3.74 मिलियन से ज्यादा सब्सक्राइबर हैं, जहां उनकी प्रार्थना सभाएं लाइव प्रसारित होती थीं। उनके समर्थक दावा करते हैं कि उनकी सभाओं में लोग अपनी बीमारियों से छुटकारा पाने के लिए आते थे।

अन्य विवाद और आरोप

बजिंदर सिंह का यह पहला विवाद नहीं है। फरवरी 2025 में, कपूरथला में एक 22 वर्षीय महिला ने उनके खिलाफ यौन उत्पीड़न और पीछा करने का मामला दर्ज किया था। इसके अलावा, हाल ही में एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें बजिंदर को एक महिला और पुरुष को थप्पड़ मारते और गाली-गलौज करते देखा गया था। इस घटना के बाद खरार की रंजीत कौर ने शिकायत दर्ज की थी, जिसमें उन्होंने बताया कि प्रार्थना सभा के बाद बजिंदर और उनके सहयोगियों ने उनके साथ दुर्व्यवहार और मारपीट की। पंजाब पुलिस ने इस मामले में भी उनके खिलाफ एक और एफआईआर दर्ज की थी। इसके अलावा, 2022 में दिल्ली के एक परिवार ने आरोप लगाया था कि बजिंदर ने उनकी बेटी की बीमारी ठीक करने का वादा करके उनसे पैसे लिए, लेकिन उनकी बेटी की मृत्यु हो गई।

समर्थकों का विरोध, पुलिस की सख्ती

फैसले के दौरान मोहाली कोर्ट परिसर में भारी पुलिस बल तैनात किया गया था, क्योंकि बजिंदर के समर्थकों ने उनके पक्ष में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन किए थे। समर्थकों का दावा था कि पीड़िता ने झूठा बयान दिया है और बजिंदर निर्दोष हैं। हालांकि, कोर्ट ने इन दावों को खारिज कर दिया और सबूतों के आधार पर सजा सुनाई। पंजाब पुलिस ने पीड़िता और उसके परिवार की सुरक्षा के लिए विशेष इंतजाम करने का आश्वासन दिया है।

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