scriptVHP के कार्यक्रम में मुस्लिमों पर निशाना साधने वाले जज सुप्रीम कोर्ट के समझाने पर भी झुकने को तैयार नहीं | judge shekhar yadav targeted Muslims in VHP program is not ready to bow down even after Supreme Court persuasion | Patrika News
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VHP के कार्यक्रम में मुस्लिमों पर निशाना साधने वाले जज सुप्रीम कोर्ट के समझाने पर भी झुकने को तैयार नहीं

मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश अरुण भंसाली से जज शेखर यादव के बयान पर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।

नई दिल्लीJan 09, 2025 / 10:31 am

Anish Shekhar

इलाहाबाद उच्च न्यायालय के जज शेखर यादव की मुसलमानों के खिलाफ की गई टिप्पणी के बाद उनका मामला अब उच्चतम न्यायालय में गंभीरता से लिया गया है। उनके खिलाफ आरोपों के बाद, भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश अरुण भंसाली से इस मामले पर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। यह कदम न्यायमूर्ति यादव की टिप्पणियों को लेकर कॉलेजियम द्वारा तलब किए जाने के तीन सप्ताह बाद उठाया गया है।

झुकने को तैयार नहीं जज शेखर यादव

17 दिसंबर को न्यायमूर्ति यादव से मुलाकात के दौरान, मुख्य न्यायाधीश खन्ना ने उनसे अपनी टिप्पणी पर स्पष्टीकरण मांगा था। हालांकि, न्यायमूर्ति यादव ने इस पर कोई माफी या स्पष्टीकरण देने से मना कर दिया था, और इस मुद्दे पर अपनी बात पर अड़े रहे। इसके बाद मुख्य न्यायाधीश खन्ना ने सर्वोच्च न्यायालय की पूर्ण अदालत को इस मुद्दे से अवगत कराया।

न्यायाधीशों पर सुप्रीम कोर्ट पहले भी ले चुका है एक्शन

मुख्य न्यायाधीश के इस नए कदम को एक आंतरिक जांच प्रक्रिया के तौर पर देखा जा रहा है, जो न्यायाधीशों के कदाचार से संबंधित मामलों में उठाए जाने वाले पहले कदम के रूप में समझा जा सकता है। यह प्रक्रिया 1995 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले, सी रविचंद्रन अय्यर बनाम जस्टिस ए.एम. भट्टाचार्जी और अन्य के मामले से जुड़ी है, जिसमें उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के खिलाफ शिकायतों की जांच का रास्ता तय किया गया था।
इस मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ए.एम. भट्टाचार्जी पर वित्तीय अनियमितता के आरोप लगे थे, और अदालत ने बुरे व्यवहार और महाभियोग योग्य दुर्व्यवहार के बीच अंतर को स्पष्ट किया था। जस्टिस भट्टाचार्जी ने बाद में इस्तीफा दे दिया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस तरह के मामलों के निपटारे के लिए एक कानूनी मिसाल कायम की थी।

अनुशासनहीनता का मामला

इस बार, न्यायमूर्ति यादव के मामले में भी सर्वोच्च न्यायालय ने इस प्रक्रिया का पालन करते हुए, सबसे पहले इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से रिपोर्ट मांगी है, जिससे यह मामला अब और गंभीर रूप से जांच के दायरे में आ गया है। यह कार्रवाई न्यायपालिका में स्वतंत्रता और निष्पक्षता बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है, ताकि किसी भी न्यायाधीश के अनुशासनहीनता के मामलों में उचित कदम उठाए जा सकें।

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