पाली में भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ व सांसद पीपी चौधरी। पत्रिका
सरकार 2034 तक पूरे देश में एकसाथ चुनाव कराने की योजना बना रही है। ऐसा One Nation, One Election बिल के पास होने के बाद संभव हो पाएगा। एक रिपोर्ट के मुताबिक 2029 के बाद जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव होंगे, उनका कार्यकाल छोटा होगा। यह जानकारी संविधान (129वां संशोधन) विधेयक, 2024 पर बनी संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के प्रमुख पीपी चौधरी से बातचीत में सामने आई है। उन्होंने मीडिया को यह भी बताया कि हम यह नहीं कह सकते कि देश में पहला वन नेशन, वन इलेक्शन उसी दौरान होगा, लेकिन बिल कहता है कि संसद का पहला सत्र अगर अप्वाइंटमेंट की तारीख के साथ होता है तो यह 2034 में पड़ेगा।
चौधरी के मुताबिक वन नेशन, वन इलेक्शन को 2034 से पहले लागू नहीं किया जा सकता, क्योंकि उसकी संरचना ही ऐसी है। बिल में प्रस्ताव है कि संविधान में नया आर्टिकल 82ए जोड़ा जाएगा। उसके लिए राष्ट्रपति एक अप्वाइंटमेंट डेट की घोषणा करेंगी। क्योंकि 18वीं लोकसभा की पहली सीटिंग 2024 में हो चुकी है तो अगली 2029 में पड़ेगी। उसके बाद ही अप्वाइंटमेंट डेट तय होगी।
यूपी में 2032 में विधानसभा चुनाव
चौधरी ने कहा कि यूपी में 2032 में विधानसभा चुनाव होंगे, इसलिए उसका कार्यकाल 2034 के लोकसभा चुनाव के साथ स्टेट इलेक्शन कराने के लिए दो साल का ही रहेगा। संविधान (129वां संशोधन) बिल 2024 और केंद्र शासित प्रदेश कानून (संशोधन) बिल, 2024 में लोकसभा और राज्य के चुनाव साथ में कराने का प्रावधान है।
आम चुनाव के बाद नोटिफिकेशन
राष्ट्रपति एकसाथ चुनाव कराने के लिए आम चुनाव के बाद नोटिफिकेशन जारी कर सकती हैं। इस तारीख के बाद सभी राज्य विधानसभाओं का टेन्योर खत्म हो जाएगा। अगर लोकसभा या कोई विधानसभा 5 साल का कार्यकाल खत्म होने से पहले भंग की गई तो बचे हुए कार्यकाल के लिए चुनाव कराए जाएंगे। ऐसा इलेक्शन साइकिल से तालमेल बनाने के मकसद से किया जाएगा।
चुनाव स्थगन के लिए सिफारिश
उन्होंने बताया कि अगर चुनाव आयोग को लगता है कि राज्य विधानसभा चुनाव एकसाथ होने वाले इलेक्शन का हिस्सा नहीं बन सकता तो वह राष्ट्रपति को चुनाव स्थगन के लिए सिफारिश कर सकता है। इसके बाद राष्ट्रपति चुनाव बाद में कराने का आदेश दे सकती हैं।
चुनाव को आगे बढ़ाने की राष्ट्रपति से सिफारिश
संविधान (129 संशोधन) बिल, 2024 चुनाव आयोग को अधिकार देता है कि वह राज्य विधानसभा चुनाव को आगे बढ़ाने की राष्ट्रपति से सिफारिश कर सकता है। उसे संसद की मंजूरी नहीं लेनी होगी, जैसा मौजूदा आर्टिकल 356 में दिया है। इस आर्टिकल के मुताबिक चुनाव टालने के लिए संसद की मंजूरी जरूरी है।
JPC कार्यकाल की मियाद बढ़ाई जा सकती है
राजस्थान के पाली से बीजेपी के एमपी पीपी चौधरी ने कहा कि JPC को सिफारिश फाइनल करने के लिए उसके कार्यकाल की मियाद बढ़ाई जा सकती है। क्योंकि उसके सदस्यों को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों का आम सहमति बनाने के लिए दौरा करना होगा। चौधरी की अध्यक्षता वाली जेपीसी महाराष्ट्र और उत्तराखंड का दौरा कर चुकी है। बीते साल दिसंबर में लोकसभा में पेश इस बिल को पैनल को रेफर किया गया है, जो साझीदारों से राय ले रहा है।
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