दरअसल, कहा जाता है कि विपक्षी दलों के समिति सदस्यों ने विधेयक की संवैधानिकता और संघवाद के मुद्दों का मुद्दा उठाया, जबकि जेडीयू जैसे भाजपा सहयोगी यह जानना चाहते थे कि यदि एक कार्यकाल में कई बार सरकार गिरती है तो यह विधेयक चुनाव खर्च में कैसे कटौती करेगा।
इस दौरान केंद्र में सत्ताधारी एनडीए गठबंधन के एक सांसद ने भी सवाल उठाते हुए कहा कि लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव की सीमा को सीमित करने से सांसदों के अधिकारों पर असर पड़ सकता है। जेपीसी की बैठक में कुछ सदस्यों ने इस बात पर भी चिंता जताई कि कोई सरकार बीच में ही गिर जाती है तो उसकी जगह शेष अवधि के लिए बनने वाली नई सरकार न तो ताकतवर होगी और न ही उनका विकास पर ध्यान होगा। बैठक में भाजपा के सदस्यों ने एक साथ चुनाव के विचार की सराहना की। बैठक के दौरान विधि एवं न्याय मंत्रालय के अधिकारियों ने प्रस्तावित कानूनों के प्रावधानों पर एक प्रजेंटेशन दिया।
One Nation, One Election: किसने क्या कहा?
खर्च कैसे कम होगा कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने कहा कि एक देश एक चुनाव पर कहा की सरकार को यह भी बताना चाहिए कि देश में सारे चुनाव एक साथ होते हैं तो उससे पैसे की बचत कैसे होगी? अगर देश भर के चुनाव एक साथ होने हैं तो क्या उसके लिए ईवीएम उपलब्ध हैं?
क्या संविधान का उल्लंघन किया था
1957 में लोकसभा-विधानसभा चुनाव एक साथ कराने के लिए 7 विधानसभाएं समय से पहले भंग की गई थीं। तब क्या तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद, जवाहरलाल नेहरू और अन्य सांसदों ने संविधान का उल्लंघन किया था।- संजय जायसवाल, भाजपा सांसद
संविधान के खिलाफ
यह बिल पूरी तरह संविधान की भावना के खिलाफ है। सरकार क्षेत्रीय दलों को खत्म करने की साजिश रच रही है। -धर्मेंद्र यादव, सपा सांसद अधिकारों की रक्षा जरूरी
सरकार बताए कि खर्चा कम करना जरूरी है या लोगों के लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा करना जरूरी है। -कल्याण बनर्जी, टीएमसी सांसद
18000 पन्नों की रिपोर्ट
जेेपीसी सदस्यों को एक देश-एक चुनाव को लेकर 18 हजार से ज्यादा पन्नों की रिपोर्ट वाली एक ट्रॉली दी गई। इसमें हिंदी और अंग्रेजी में कोविंद समिति की रिपोर्ट की एक-एक कॉपी और अनुलग्नक की 21 कॉपी शामिल है। इसमें सॉफ्ट कॉपी भी शामिल है।