पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत की जवाबी सैन्य कार्रवाई के दौरान परमाणु हमले की धमकी देने वाला पाकिस्तान अचानक सीजफायर की गुहार लगाने पर क्या मजबूर हुआ? यह सवाल आमजन के मन में हैं। इसका उत्तर न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट से मिलता है जिसमें बताया गया कि भारतीय सेना ने रावलपिंडी में सैन्य मुख्यालय के करीब ब्रह्मोस मिसाइल से पाकिस्तान का नूर खान एयरबेस तबाह कर दिया था। यह स्थान पाकिस्तान के परमाणु हथियारों के जखीरे के काफी करीब है। ऐसा करके भारतीय सेना ने संदेश दे दिया कि उसके पास न्यूक्लियर कमांड सेंटर को निशाना बनाने की ताकत है। इससे पाकिस्तान घबरा गया क्योंकि इससे पाकिस्तान के परमाणु बम गिराने की क्षमता खत्म हो जाती। यही कारण था कि नूर खान एयरबेस तबाह होने के बाद पाकिस्तान सीजफायर की गुहार लगाने लगा था।
रिपोर्ट में बताया गया कि रावलपिंडी के नजदीक ही चकलाला में नूर खान एयरबेस है। यह पाकिस्तानी वायुसेना की ‘एयर मोबिलिटी कमांड का मुख्यालय है। यहीं से सैन्य अभियानों, लॉजिस्टिक ट्रांसपोर्ट और एयरबोर्न रडार सिस्टम को ऑपरेट किया जाता है। यही कारण है कि यह एयरबेस पाकिस्तान की रणनीतिक सैन्य तंत्र की धड़कन माना जाता है। भारत ने इसी एयरबेस पर 10 मई को ब्रह्मोस से भयानक हमला किया था। चकवाल में मुरीद और शोरकोट में रफीकी एयरबेस को भी भारी नुकसान पहुंचाया। इन हमलों से पाकिस्तान की लंबी दूरी तक मार करने की क्षमता को बेअसर कर दिया था। इन हमलों ने पाकिस्तान की सेना को अंदर से दहला दिया।
नूर खान एयरबेस पर हमला इस बात की चेतावनी थी कि भारत का अगला निशाना पाकिस्तान का न्यूक्लियर कमांड सेंटर हो सकता है। ऐसी स्थिति में पाकिस्तान की परमाणु हमला करने की क्षमता ही खत्म हो जाती। इससे डरे शहबाज शरीफ ने फौरन अमरीका को फोन लगा दिया और सीजफायर की गुहार लगाई। इस दौरान अमरीका दोनों पक्षों के संपर्क में था। इसके बाद पाकिस्तान के डीजीएमओ मेजर जनरल काशिफ अब्दुल्ला ने भारतीय समकक्ष लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई को फोन किया और भारत सीजफायर के लिए तैयार हो गया।
डिफेंस सिस्टम फ्लॉप तो घबराए अधिकारी
भारत के मिसाइल हमलों को रोकने में पाकिस्तान नाकाम रहा और उसके डिफेंस सिस्टम फ्लॉप हो गए। भारतीय मिसाइलें बिना रूकावट एयरबेस तक पहुंच रही थी। इसने पाकिस्तान की सेना के उच्च अधिकारियों को डरा दिया था। नूर खान एयरबेस पर हमले के बाद रिपोर्ट आई की पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने न्यूक्लियर कमांड अथॉरिटी की बैठक बुला ली थी। हालांकि यह बैठक नहीं हुई लेकिन इसने पाकिस्तान के सैन्य और राजनीतिक स्तर पर घबराहट पैदा कर दी। अमरीकी डिफेंस एक्सपट्र्स का कहना है कि यह नूरखान एयरबेस में स्ट्राइक पाकिस्तान के लिए एक चेतावनी थी कि जरूरत पडऩे पर भारत उसकी न्यूक्लियर कमांड को ‘डिकैपिटेट करने की क्षमता रखता है।
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