हादसे में फंसे लोगों में एक इन्फ्रास्ट्रक्चर फर्म के दो इंजीनियर, एक अमेरिकी कंपनी के दो ऑपरेटर और चार मजदूर शामिल हैं, जो उत्तर प्रदेश, झारखंड, पंजाब और जम्मू-कश्मीर से हैं। तेलंगाना सरकार ने बचाव अभियान के लिए व्यापक प्रयास शुरू किए हैं। इसमें पिछले साल उत्तराखंड टनल हादसे में फंसे लोगों को बचाने वाले विशेषज्ञों के साथ-साथ भारतीय सेना और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) की टीमें शामिल हैं। इसके अलावा, राज्य के स्वामित्व वाली सिंगरेनी कोलियरीज कंपनी लिमिटेड (एससीसीएल) की 19 सदस्यीय टीम भी बचाव कार्यों में सहायता के लिए तैनात की गई है। राज्य और केंद्र सरकार के बीच समन्वय के साथ बचाव अभियान पूरे जोरों पर चल रहा है।
हादसे के वक्त 50 से अधिक लोग थे सुरंग में
-सुरंग परियोजना में निर्माण कार्य हाल ही में फिर से शुरू हुआ था, और पहली पाली में 200 मीटर लंबी मशीन के साथ 50 से अधिक लोग सुरंग के अंदर गए थे। वे काम के हिस्से के रूप में सुरंग के अंदर 13.5 किलोमीटर तक गए, लेकिन अचानक सुरंग की छत गिर गई। -अधिकारियों ने बताया कि मशीन के आगे चल रहे आठ सदस्य फंस गए, जबकि 42 अन्य सुरंग के बाहरी गेट की ओर भागने में सफल रहे और बाहर निकल आए। -प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घटना की जानकारी लेने के लिए तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए रेवंत रेड्डी को फोन किया। उन्होंने बचाव अभियान चलाने के लिए केंद्र से हर संभव सहायता का आश्वासन दिया।
झारखंड के श्रमिकों के सुरंग के अंदर फंसे होने की खबरें सामने आने के बाद, झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने अपनी चिंता व्यक्त की और सीएम रेड्डी से श्रमिकों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए हर संभव बचाव उपाय करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, “झारखंड सरकार तेलंगाना सरकार के साथ समन्वय कर रही है, हर पल अपडेट प्राप्त कर रही है और सभी आवश्यक सहायता प्रदान करने के लिए तैयार है।”