ट्रम्प ने न्यूयॉर्क के कार्डिनल टिमोथी डोलन का जिक्र करते हुए कहा कि वह इस भूमिका के लिए “बहुत अच्छे” हो सकते हैं, लेकिन उनका यह मजाकिया बयान कई लोगों को नागवार गुजरा। पोप फ्रांसिस के निधन के बाद नए पोप के चयन की प्रक्रिया शुरू होने वाली है, और ऐसे संवेदनशील समय में ट्रम्प का यह बयान कई सवाल खड़े करता है—क्या ट्रम्प के पास पोप बनने की योग्यता है? क्या उनके इस बयान ने ईसाइयों का अपमान किया है? और अगर भारत में किसी नेता ने ऐसा बयान दिया होता, तो क्या होता?
क्या ट्रंप के पास है पोप बनने की योग्यता?
पोप बनने की योग्यता की बात करें तो कैथोलिक चर्च के नियम बहुत सख्त हैं। पोप को अविवाहित होना चाहिए, और उसे कैथोलिक पादरी के रूप में लंबा अनुभव होना चाहिए, जो आमतौर पर कार्डिनल के स्तर तक पहुंचने के बाद ही संभव है। ट्रम्प, जो तीन बार विवाह कर चुके हैं और उनके छह बच्चे हैं, इन बुनियादी शर्तों को पूरा नहीं करते। इसके अलावा, ट्रम्प की पहचान एक नॉन-डिनॉमिनेशनल क्रिश्चियन के रूप में है, और उनका राजनीतिक जीवन विवादों से भरा रहा है—चाहे वह आप्रवासन नीतियों पर पोप फ्रांसिस के साथ उनकी सार्वजनिक बहस हो या उनकी विवादास्पद टिप्पणियां। 2016 में, पोप फ्रांसिस ने ट्रम्प की दीवार बनाने की नीति को “ईसाई विरोधी” करार दिया था, जिसके जवाब में ट्रम्प ने इसे “शर्मनाक” बताकर पलटवार किया था। ट्रम्प का यह मजाकिया बयान उनके अहंकार को दर्शाता है, लेकिन पोप की भूमिका के लिए उनकी योग्यता शून्य है। यह स्पष्ट है कि ट्रम्प का यह बयान एक गंभीर दावेदारी नहीं, बल्कि उनका ध्यान आकर्षित करने का एक और प्रयास था।
ट्रम्प ने किया ईसाइयों का अपमान?
ट्रम्प के इस बयान को लेकर कैथोलिक समुदाय और ईसाई संगठनों में मिली-जुली प्रतिक्रिया देखने को मिली है। कुछ लोगों का मानना है कि यह मजाक कैथोलिक चर्च की गरिमा का अपमान करता है। पोप फ्रांसिस के निधन के बाद, जब पूरा कैथोलिक समुदाय शोक में डूबा है, ट्रम्प का यह हल्का-फुल्का बयान कई लोगों को असंवेदनशील लगा। इसके बाद, 3 मई, 2025 को ट्रम्प ने व्हाइट हाउस के आधिकारिक इंस्टाग्राम अकाउंट पर अपनी एक एआई-जनरेटेड तस्वीर पोस्ट की, जिसमें वह पोप की पोशाक में नजर आ रहे थे। इस पोस्ट ने विवाद को और हवा दी। कुछ लोगों ने इसे “असंवेदनशील” और “ईसाइयों का अपमान” करार दिया, क्योंकि यह एक पवित्र पद को मजाक का विषय बनाता है। दूसरी ओर, ट्रम्प के समर्थकों ने इसे हल्के-फुल्के मजाक के रूप में देखा और उनकी “हास्य भावना” की तारीफ की। एक समर्थक ने सोशल मीडिया पर लिखा, “ट्रम्प का यह अंदाज ही उन्हें अलग बनाता है। यह बस एक मजाक था, इसमें इतना बवाल करने की क्या जरूरत है?” लेकिन आलोचकों का कहना है कि एक वैश्विक नेता को अपनी बातों में संयम बरतना चाहिए, खासकर तब जब यह धार्मिक भावनाओं से जुड़ा हो।
भारत में किसी नेता ने दिया होता ऐसा बयान तो क्या होता?
अगर भारत में किसी नेता ने ऐसा बयान दिया होता, तो इसका असर कहीं अधिक विस्फोटक हो सकता था। भारत में धर्म और राजनीति का गहरा संबंध है, और धार्मिक भावनाएं बेहद संवेदनशील हैं। अगर कोई भारतीय नेता, जैसे कि प्रधानमंत्री या कोई मुख्यमंत्री, यह कहता कि वह किसी धार्मिक पद, जैसे कि शंकराचार्य या मौलाना-ए-आजम बनना चाहता है, तो यह न केवल उसकी पार्टी के लिए संकट का कारण बनता, बल्कि देश भर में व्यापक प्रदर्शन और हिंसा भड़कने की आशंका होती। भारत में धार्मिक नेताओं का सम्मान बहुत गहरा है, और किसी राजनीतिक नेता द्वारा ऐसे पद को मजाक का विषय बनाना असहनीय माना जाता। ट्रम्प के इस बयान को अगर भारत के संदर्भ में देखें, तो यह संभवतः सांप्रदायिक तनाव को भड़काने का कारण बन सकता था, और उस नेता को सार्वजनिक माफी मांगनी पड़ती। भारत में धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने पर कानूनी कार्रवाई भी हो सकती है, जैसे कि IPC की धारा 295A के तहत मुकदमा दर्ज होना।
अमेरिकी राष्ट्रपति के इंस्टाग्राम पोस्ट से सोशल मीडिया में मतभेद
ट्रम्प की एआई-जनरेटेड तस्वीर, जिसमें वह पोप की पोशाक में नजर आ रहे थे, ने सोशल मीडिया पर तीखी बहस छेड़ दी। कुछ यूजर्स ने इसे मजेदार बताते हुए ट्रम्प की तारीफ की। एक यूजर ने लिखा, “यह ट्रम्प का ह्यूमर है, इसे हल्के में लें। वह हमेशा से ऐसे ही रहे हैं।” ट्रम्प के समर्थकों ने इसे उनकी बेबाक शैली का हिस्सा बताया और कहा कि वह जानबूझकर विवाद पैदा करते हैं ताकि चर्चा में बने रहें। दूसरी ओर, कई लोगों ने इसे असंवेदनशील और अपमानजनक करार दिया। एक यूजर ने लिखा, “पोप का पद एक पवित्र और गंभीर जिम्मेदारी है। इसे मजाक बनाना कैथोलिक समुदाय का अपमान है। ट्रम्प को शर्म आनी चाहिए।” एक अन्य यूजर ने सवाल उठाया, “क्या ट्रम्प को लगता है कि वह हर चीज का मजाक बना सकते हैं? यह धार्मिक भावनाओं के साथ खिलवाड़ है।” यह पोस्ट व्हाइट हाउस के आधिकारिक अकाउंट से शेयर की गई थी, जिसके बाद कई लोगों ने इसकी औपचारिकता पर भी सवाल उठाए। इस पोस्ट ने न केवल अमेरिका, बल्कि भारत जैसे देशों में भी चर्चा को जन्म दिया, जहां लोग धार्मिक संवेदनशीलता को लेकर अधिक सजग हैं।