पीएम मोदी ने निधन पर किया शोक व्यक्त
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को भारत के परमाणु कार्यक्रम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले डॉ. राजगोपाला चिदंबरम के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया। देश की वैज्ञानिक और रणनीतिक प्रगति में उनके अभूतपूर्व योगदान की प्रशंसा करते हुए मोदी ने कहा कि डॉ. चिदंबरम के प्रयास भविष्य की पीढ़ियों को प्रेरित करते रहेंगे और राष्ट्र द्वारा कृतज्ञता के साथ याद किए जाएंगे। प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया साइट X पर एक पोस्ट में लिखा, “डॉ. राजगोपाला चिदंबरम के निधन से गहरा दुख हुआ। वे भारत के परमाणु कार्यक्रम के प्रमुख वास्तुकारों में से एक थे और उन्होंने भारत की वैज्ञानिक और रणनीतिक क्षमताओं को मजबूत करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।”
ऑपरेशन शक्ति और स्माइलिंग बुद्धा में दिया अहम योगदान
आर चिदंबरम ने पोकरण में 1998 के ऑपरेशन शक्ति के परमाणु घटक का नेतृत्व किया, जिससे वे उन दुर्लभ परमाणु वैज्ञानिकों में से एक बन गये। डॉ. राजगोपाला चिदंबरम ने 1974 में स्माइलिंग बुद्धा (Operation Smiling Buddha) और 1998 में ऑपरेशन शक्ति (Operation Shakti) दोनों में योगदान दिया। उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए परमाणु ऊर्जा विभाग के सचिव डॉ. अजीत कुमार मोहंती ने कहा, “डॉ. चिदंबरम विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अग्रणी थे, जिनके योगदान ने भारत की परमाणु क्षमता और रणनीतिक आत्मनिर्भरता को बढ़ाया। उनका निधन वैज्ञानिक समुदाय और राष्ट्र के लिए अपूरणीय क्षति है।”
डॉ. आर चिदंबरम का करियर
राजगोपाला चिदंबरम का जन्म 1936 में हुआ था। डॉ. चिदंबरम प्रेसीडेंसी कॉलेज, चेन्नई और भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलुरु के पूर्व छात्र थे। डॉ. चिदंबरम ने अपने शानदार करियर के दौरान कई प्रतिष्ठित भूमिकाएं निभाईं, जिनमें भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार (2001-2018), भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र के निदेशक (1990-1993), परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष और भारत सरकार के परमाणु ऊर्जा विभाग के सचिव (1993-2000) शामिल हैं। वे अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (1994-1995) के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्यक्ष और IAEA के प्रतिष्ठित व्यक्तियों के आयोग के सदस्य भी थे, जिन्होंने 2020 और उसके बाद के लिए संगठन के विज़न में योगदान दिया।
साइंटिस्ट के रुप में भारत का नाम किया रोशन
डॉ. चिदंबरम ने भारत की परमाणु क्षमताओं को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे 1974 में देश के पहले परमाणु परीक्षण के अभिन्न अंग थे। डॉ. चिदंबरम ने 1998 में पोखरण-2 परमाणु परीक्षण के दौरान परमाणु ऊर्जा विभाग की टीम का नेतृत्व किया, जिसने भारत को वैश्विक मंच पर एक परमाणु शक्ति के रूप में मजबूती से स्थापित किया। विश्वस्तरीय भौतिक विज्ञानी के रूप में, डॉ. चिदंबरम के उच्च दाब भौतिकी, क्रिस्टलोग्राफी और पदार्थ विज्ञान में अनुसंधान ने इन क्षेत्रों के बारे में वैज्ञानिक समुदाय की समझ को महत्वपूर्ण रूप से उन्नत किया। उनके अग्रणी कार्य ने भारत में आधुनिक पदार्थ विज्ञान अनुसंधान की नींव रखी।