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मोदी के गढ़ में राहुल गांधी का मेगा प्लान, क्या हिला पाएंगे बीजेपी की जड़ें?

Rahul Gandhi vs PM Modi: गुजरात की सियासी जमीन गरम हो रही है, और राहुल गांधी का यह मेगा प्लान उसमें आग लगाने की कोशिश है।

अहमदाबादMar 05, 2025 / 12:24 pm

Anish Shekhar

Rahul Gandhi’s Gujrat Plan: नरेंद्र मोदी का गढ़ कहे जाने वाले गुजरात में एक नई सियासी खिचड़ी पकाने की तैयार है। कांग्रेस के नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी इस बार गुजरात को फतह करने के लिए कमर कस रहें हैं। 7 और 8 मार्च 2025 को राहुल गांधी गुजरात के दौरे पर जा रहे हैं, जहां वे जिला और राज्य स्तर के पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं से मुलाकात करेंगे। उनका मकसद साफ है—अगले विधानसभा चुनावों की तैयारियों को धार देना और बीजेपी के अभेद्य किले में सेंध लगाने की रणनीति बनाना। लेकिन क्या यह मेगा प्लान सचमुच बीजेपी की जड़ें हिला पाएगा?

गुजरात: बीजेपी का अजेय किला

गुजरात बीजेपी का वो गढ़ है, जहां पिछले तीन दशकों से उसका दबदबा कायम है। 2022 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 182 में से 156 सीटें जीतकर अपना परचम लहराया था, जबकि कांग्रेस महज 17 सीटों पर सिमट गई थी। लोकसभा चुनावों में भी 2014 और 2019 में बीजेपी ने गुजरात की सभी 26 सीटें झटक लीं। यहां तक कि 2024 में, कांग्रेस ने एक सीट (बनासकांठा) जीती, लेकिन बीजेपी का वर्चस्व कमजोर नहीं पड़ा। नरेंद्र मोदी और अमित शाह जैसे दिग्गजों की गृहक्षेत्र होने के नाते, गुजरात बीजेपी के लिए न सिर्फ राजनीतिक, बल्कि भावनात्मक गढ़ भी है। ऐसे में राहुल गांधी का यह दावा कि “गुजरात बीजेपी मुक्त होगा” एक बड़ी चुनौती की तरह सामने आता है।

राहुल का मेगा प्लान: संगठन और संदेश

राहुल गांधी का गुजरात दौरा एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है। 7-8 मार्च को वे कार्यकर्ताओं से लेकर नेताओं तक के साथ गहन मंथन करेंगे। इसका लक्ष्य है संगठन को जमीनी स्तर से मजबूत करना और अगले विधानसभा चुनाव (2027) के लिए अभी से नींव तैयार करना। इसके बाद 8-9 अप्रैल को अहमदाबाद में होने वाला ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी (AICC) का अधिवेशन इस प्लान का दूसरा बड़ा कदम है। 64 साल बाद गुजरात में होने वाला यह अधिवेशन बीजेपी की “जन-विरोधी नीतियों” और “संविधान पर हमले” के खिलाफ कांग्रेस का जवाब होगा।
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इस अधिवेशन में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, सोनिया गांधी, राहुल गांधी और कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्री शामिल होंगे। पार्टी का दावा है कि यहां से एक वैकल्पिक विजन पेश किया जाएगा, जो आम लोगों की चिंताओं को संबोधित करेगा। इसके साथ ही, 26 जनवरी 2025 से 26 जनवरी 2026 तक “संविधान बचाओ राष्ट्रीय पदयात्रा” का ऐलान भी इसी रणनीति का हिस्सा है, जो महात्मा गांधी और डॉ. बी.आर. आंबेडकर की विरासत को आगे बढ़ाने का वादा करता है।

क्या पलट पाएगी बाजी

राहुल गांधी का गुजरात से पुराना नाता रहा है। 2017 में, जब वे कांग्रेस अध्यक्ष थे, पार्टी ने बीजेपी को कड़ी टक्कर दी थी और 77 सीटें जीती थीं। हालांकि, उसके बाद 2022 में कांग्रेस का प्रदर्शन निराशाजनक रहा। अब राहुल एक नई ऊर्जा के साथ लौट रहे हैं। जुलाई 2024 में अहमदाबाद दौरे पर उन्होंने कहा था, “बीजेपी ने हमें चुनौती दी है, और हम इसे स्वीकार करते हैं। अगले चुनाव में हम उन्हें हराएंगे।” 2024 के लोकसभा चुनाव में बनासकांठा की जीत ने भी पार्टी में कुछ हौसला भरा है।
कांग्रेस महासचिव (संगठन) केसी वेणुगोपाल ने भी तैयारियों का जायजा लेते हुए कहा, “2025 कांग्रेस का संगठनात्मक साल है। हम गुजरात से शुरुआत कर रहे हैं।” पार्टी बूथ स्तर से लेकर शीर्ष तक मजबूती चाहती है, और राहुल खुद इस प्लान को लीड कर रहे हैं।
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क्या इस कसौटी पर राहुल होंगे पास?

राहुल के इस मेगा प्लान के सामने कई चुनौतियां हैं। पहली, बीजेपी की संगठनात्मक ताकत और मोदी का करिश्मा, जो गुजरात में अब भी मजबूत है। दूसरी, कांग्रेस का अपना कमजोर संगठन—पिछले चुनावों में कई विधायक बीजेपी में चले गए, और कार्यकर्ताओं का मनोबल भी टूटा हुआ था। तीसरी, आम आदमी पार्टी (AAP) का उभरना, जो गुजरात में कांग्रेस के वोट काट सकती है। 2022 में AAP ने 5 सीटें जीती थीं और अब वो भी अपनी पैठ बढ़ा रही है।
फिर भी, राहुल के पक्ष में कुछ बातें हैं। उनकी “भारत जोड़ो यात्रा” ने कांग्रेस को नई जान दी थी, और संविधान व सामाजिक न्याय जैसे मुद्दे जनता के बीच गूंज सकते हैं। अगर कांग्रेस SC, ST, और अल्पसंख्यक वोटों को फिर से एकजुट कर पाई—जैसा कि “KHAM” फॉर्मूले के जरिए कभी हुआ था—तो बीजेपी को मुश्किल हो सकती है।
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बीजेपी की जड़ें हिलेंगी?

गुजरात में बीजेपी की जड़ें गहरी हैं, और उसे हिलाना आसान नहीं। राहुल का प्लान जितना बड़ा है, उसका असर उतना ही निर्भर करेगा कार्यकर्ताओं की मेहनत, संगठन की एकजुटता और जनता तक संदेश पहुंचाने की काबिलियत पर। अगर कांग्रेस यहां सफल रही, तो यह न सिर्फ गुजरात, बल्कि राष्ट्रीय राजनीति में भी बड़ा उलटफेर होगा।

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