26 मई को देने वाले थे अंतिम परीक्षा
Three Muslim Students expelled from RGYIND: जानकारी के मुताबिक संस्थान से मास्टर ऑफ सोशल वर्क (MSW) के दूसरे और अंतिम वर्ष की पढ़ाई कर रहे असलम एस, सईद एम. ए. और नाहल इब्नु अबुल्लाइस नामक तीनों विद्यार्थी 26 मई को अपनी अंतिम परीक्षा देने वाले थे, लेकिन 25 मई को ही निष्कासन पत्र भेजकर उन्हें संस्थान से निलंबित कर छात्रावास निकाल दिया गया।
यौन उत्पीड़न के आरोपी अधिकारी को लेकर किया था प्रदर्शन
विद्यार्थियों का कहना है कि उन्हें परीक्षा देने से रोकने के लिए यह कदम उठाया गया है। इनमें से एक छात्र नाहल ने बताया कि ‘हमें हाल ही में एक ऐसे वरिष्ठ प्रशासनिक कर्मचारी के इस्तीफे की मांग को लेकर हुए विरोध प्रदर्शन में अगुवाई करने के कारण प्रशासन की ओर से निशाना बनाया गया है, जिसके खिलाफ यौन उत्पीड़न (Sexual Assault) के आरोप लगाए गए हैं।’ अन्य 4 छात्रों को दी गई परीक्षा लिखने की छूट
नाहल ने आगे कहा कि ‘हकीकत यह है कि 22 मई को कुछ छात्रावास अधिकारी पहले छात्रावास की दीवार पर
‘जय भीम’ और ‘फ्री फिलिस्तीन’ जैसे नारे लिखे और उसके बाद खुद ही छात्रावास का निरीक्षण भी करने लगे। इस दौरान उन्हें हमारे कमरे में कुछ खाली बीयर की बोतलों के साथ थोड़े-बहुत कपड़े के रंग मिले। इसके बाद अधिकारियों ने तुरंत निष्कर्ष निकाला और कार्रवाई कर दी। इस दौरान वहां 4 अन्य विद्यार्थी भी मौजूद थे लेकिन उन्हें छात्रावास से निष्कासित करने के बाद भी परीक्षा में बैठने की अनुमति दी गई।’
अपमानजनक हैं राष्ट्र-विरोधी जैसे शब्द
सूत्रों के मुताबिक तीनों को भेजे गए पत्रों में कहा गया है कि ‘संस्थान के सक्षम प्राधिकारी ने छात्रावास परिसर में घोर कदाचार विशेष रूप से, राष्ट्र-विरोधी प्रकृति की सामग्री के साथ छात्रावास की संपत्ति को खराब करने में उनकी संलिप्तता को गंभीरता से लिया है। हालांकि तीनों विद्यार्थियों ने छात्रावास की संपत्ति पर नारे लिखने या प्रदर्शित करने में संलिप्तता से स्पष्ट रूप से इनकार करते हुए कहा कि वे आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय जाने पर विचार कर रहे हैं। उनके बताया कि ‘राष्ट्र-विरोधी जैसे शब्दों का प्रयोग अपमानजनक होने के साथ-साथ हमारे भविष्य के लिए भी बेहद हानिकारक है।’ नाहल ने कहा कि ‘जांच के दौरान अनुशासन समिति ने मुझसे नारों के बारे में कुछ नहीं पूछा। मुझे नहीं पता कि जय भीम और फ्री फिलिस्तीन कैसे राष्ट्र-विरोधी हैं।’
संस्थान की ओर से नहीं मिला जवाब
अनुशासनात्मक प्रक्रिया को पूरी तरह से पक्षपाती और अन्यायपूर्ण बताते हुए छात्रों ने कहा कि ‘समिति के पास उनकी ओर से हिंसा, व्यवधान या किसी भी गैरकानूनी व्यवहार किए जाने का कोई रिकॉर्ड नहीं है। ऐसे में इन आरोपों को किसी भी हाल में उचित नहीं ठहराया जा सकता।’ यह कहते हुए छात्रों ने उनके लिए फिर से परीक्षा आयोजित की भी मांग की। इस संबंध में संस्थान के अधिकारियों की ओर से कोई जवाब नहीं मिला है।