‘ब्राह्मण या नायडू को जिम्मेदारी दी जाए’
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह हमारे देश का अभिशाप है कि केवल आदिवासी समुदाय से आने वाले व्यक्ति को ही आदिवासी मामलों का मंत्री बनाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि आदिवासी समुदाय के बाहर से किसी को उनके कल्याण के लिए नियुक्त करना चाहिए। इसके लिए ब्राह्मण या नायडू को जिम्मेदारी दी जाए। इससे बदलाव आएगा। इसी तरह आदिवासी नेताओं को अगड़े समुदायों के कल्याण के लिए विभाग दिया जाना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि हमारे लोकतांत्रिक प्रणाली में ऐसे बदलाव होने चाहिए।
पीएम मोदी से किया अनुरोध
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पीएम मोदी से उन्होंने अनुरोध किया है कि उन्हें यह मंत्रालय आवंटित किया जाए। लेकिन विभागों के आवंटन के लिए कुछ परिपाटी है। बता दें कि सुरेश गोपी के इस बयान के बाद विवाद खड़ा हो गया और इसकी केरल में आलोचना हुई। बयान की आलोचना होने के बाद उन्होंने अपने बयान को वापस लेने की बात कही।
‘विभाग आवंटन में जातिगत भेदभाव को खत्म करने का था इरादा’
बयान की आलोचना होने के बाद केंद्रीय मंत्री गोपी ने कहा कि मेरा इरादा महज विभागों के आवंटन में जातिगत भेदभाव को खत्म करना था। उन्होंने कहा कि मैं एक ऐसी पार्टी से आता हूं जिसने आदिवासी समुदाय की एक महिला को देश का राष्ट्रपति नियुक्त किया है।