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‘देश में आपातकाल जैसी स्थिति है’, Vinesh Phogat ने ऐसा क्यों कहा

Kisan Andolan: विनेश फोगाट ने कहा कि किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल दूसरे लिए अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं। मैं पंजाब, हरियाणा और पूरे देश के लोगों से इस विरोध प्रदर्शन में भाग लेने का आग्रह करती हूं।

चण्डीगढ़ हरियाणाDec 15, 2024 / 03:55 pm

Ashib Khan

vinesh phogat

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Vinesh Phogat: पहलवान और कांग्रेस विधायक विनेश फोगाट (Vinesh Phogat) रविवार को खनौरी बॉर्डर पर पहुंची। उन्होंने यहां पर आमरण अनशन पर बैठे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल से मुलाकात की और उनका हालचाल जाना। इस दौरान कांग्रेस विधायक ने केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा। विनेश फोगाट ने कहा कि किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल (Jagjit Singh Dallewal) दूसरे लिए अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं। मैं पंजाब, हरियाणा और पूरे देश के लोगों से इस विरोध प्रदर्शन में भाग लेने का आग्रह करती हूं। देश में आपातकाल जैसी स्थिति है, सरकार को इसका समाधान निकालना होगा। पीएम मोदी बहुत बड़े-बड़े भाषण देते हैं, कल भी उन्होंने संसद में भाषण दिया, लेकिन अब भाषण देने के अलावा भी कुछ करना होगा। हम सभी को यह दिखाने के लिए आगे आने की जरूरत है कि हम एकजुट हैं।

‘किसानों पर जुल्म करना कायरता का काम’

किसानों को शनिवार को दिल्ली जाने से रोकने पर कांग्रेस विधायक विनेश फोगाट ने कहा कि यह उनका तीसरा प्रयास था। 101 किसानों (Kisan Andolan) का जत्थे को दिल्ली जाने से रोकने के लिए उन पर जुल्म किया गया। उन पर आंसू गैस और पानी की बौछारें छोड़ी गई। यह कायरता वाला काम किया जा रहा है। किसान आज अपना हक मांग रहा है, जिसके चलते उन्हें लंबा संघर्ष करना पड़ रहा है। किसानों को एमएसपी नहीं मिल रहा है। सरकारों ने कान बंद कर दिए हैं। ऐसा नहीं कि प्रधानमंत्री को पता नहीं हैं। वह जानबूझकर किसानों की अनदेखी कर रहे हैं। 

गुरनाम सिंह चढ़ूनी पहुंचे खनौरी बॉर्डर

रविवार को हरियाणा के किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी खनौरी बॉर्डर पहुंचे। किसान नेता ने कहा कि प्रदर्शन की वहीं मांगें हैं। किसान चुपचाप विरोध कर रहे हैं लेकिन कोई उनकी सुनने वाला नहीं है। सरकार को किसानों को बातचीत के लिए बुलाना चाहिए और समाधान निकालना चाहिए। किसान मजबूर हैं ऐसे में अपनी मांगों को लेकर कहां जाएं, क्योंकि सरकारें सुनने को तैयार नहीं है। हम यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहे हैं कि जो लोग पहले (तीन कृषि कानूनों के खिलाफ) विरोध प्रदर्शन में शामिल थे, अगर वे इस विरोध में शामिल हो जाएं, तो विरोध का वजन बढ़ जाएगा। 

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