जीएम बीज बनाने वाली बहुराष्ट्रीय कंपनियों की तरफदारी करने वाला विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) दुनिया के पिछड़े और विकासशील देशों को खाद्यान्न सुरक्षा के नाम पर जीएम फसल उगाने का दबाव बना रहा है, जिसका दीर्घकालिक दुष्प्रभाव हो सकता है। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि दुनिया के सजग देशों ने क्या रवैया अपनाया है। कई देशों ने अपनी जैव विविधता की रक्षा और पारंपरिक कृषि प्रणालियों को बचाने के लिए बाहरी बीजों, विशेष रूप जीएम बीजों पर प्रतिबंध या नियंत्रण लागू किया है।
सतर्क देशों ने लगाए कड़े प्रतिबंध
- इक्वाडोर ने 2008 में कानून बनाकर देश को जीएम फसलों और बीजों से मुक्त घोषित कर दिया है।
- पेरू ने 2011 में जीएम फसलों पर 10 साल का रोक लगाया। 2021 में और 15 साल के लिए बढ़ा दिया।
- वेनेजुएला में 2015 में जीएम फसलों और बीजों की खेती पर प्रतिबंध लगा दिया।
- मेक्सिको ने जीएम बीजों पर प्रतिबंध लगाने की योजना बनाई है। इस पर अभी भी बहस चल रही है।
- अफ्रीकी देश (केन्या, घाना, मलावी, दक्षिण अफ्रीका, जिम्बाब्वे) ने भी कड़े नियम बनाए हैं।
पांच पॉइंट में समझेंः
भारत और जापान की रणनीति में फर्क भारत की तरह बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में जापान एक ऐसा देश है जो अपनी पारंपरिक खेती और आहार प्रणाली को लेकर काफी सजग है। इसके लिए जापान ने कड़े नियम बना रखे हैं। एक नजर में समझें दोनों देशों ने जीएम फसलों को किस तरह का रवैया अपनाया है।
1- बीजों पर नियंत्रण/संरक्षण - भारत में बीज अधिनियम 1966 और संशोधित बीज विधेयक 2020 (अब तक पारित नहीं) के तहत कुछ नियंत्रण हैं। लेकिन, अभी बड़े पैमाने पर बहुराष्ट्रीय कंपनियां संकर और पेटेंट बीजों की बिक्री कर रही हैं।
- जापान ने सीड एंड सीडलिंग प्रोटेक्शन लॉ (2021) के तहत उच्च गुणवत्ता वाले बीजों के अनधिकृत निर्यात पर रोक लगाई है। किसानों को विशेष बीजों की स्थानीय खेती तक सीमित किया गया है।
2- जीएम फसलों पर नीति - भारत में बीटी कपास को छोड़कर किसी भी जीएम फसल को व्यावसायिक अनुमति नहीं है। बीटी बैंगन, बैंगन, जीएम सरसों आदि पर बहस चल रही है।
- जापान में कार्टाजेना एक्ट (2003) के तहत सख्त सुरक्षा मूल्यांकन के बिना किसी जीएम फसल को अनुमति नहीं। सामाजिक विरोध के कारण व्यावसायिक जीएम खेती नहीं होती।
3-पारंपरिक बीजों की रक्षा - भारत में ‘पौधा किस्म और कृषक अधिकार संरक्षण अधिनियम-2001’ किसानों को पारंपरिक बीज बचाने और बेचने का अधिकार देता है। लेकिन व्यवहार में बहुराष्ट्रीय बीज कंपनियों का प्रभाव बढ़ता जा रहा है।
- जापान में ‘ओके सीड’ जैसी पहल पारंपरिक बीजों को चिह्नित और प्रमोट करती है। किसान गैर-जीएम और पारंपरिक बीजों के प्रति जागरूक हैं।
4- जैव विविधता संरक्षण - भारत में जैव विवधता कानून-2002 जैव विविधता की रक्षा का कानूनी ढांचा है। परंतु जैव विविधता रजिस्टर और जमीनी क्रियान्वयन कमजोर है।
- जापान में स्थानीय कृषि उत्पादों की पेटेंट सुरक्षा और निर्यात प्रतिबंध के माध्यम से जैव विविधता की व्यावहारिक रक्षा की जाती है।
5- किसानों की स्थिति - बीज बाजार में निजी कंपनियों का प्रभुत्व है, जिससे किसानों की लागत बढ़ी है। किसानों के बीजों पर अधिकार लगातार घट रहे हैं।
- जापान के किसान जागरूक, संगठित, और पारंपरिक बीजों के रक्षक हैं। सरकार की नीतियां उन्हें मजबूत करती हैं।