Waqf Act: ‘वक्फ इस्लाम का जरूरी हिस्सा नहीं, सिर्फ…’, सुप्रीम कोर्ट में SG मेहता ने क्या-क्या दी दलीलें
Supreme Court: सॉलिसिटर तुषार मेहता ने कहा कि वक्फ कानून में 1923, 1954 और 1995 के प्रावधानों में कई कमियां थीं, जिन्हें नए संशोधन अधिनियम के जरिए ठीक किया गया है।
SG ने कहा- 1923 से चली आ रही समस्याओं का किया समाधान (Photo- Patrika)
Waqf Act: सुप्रीम कोर्ट में वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 की संवैधानिकता को लेकर बुधवार को भी सुनवाई हुई। इस दौरान केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखा। केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर तुषार मेहता ने अपनी दलीलें रखी। सॉलिसिटर तुषार मेहता ने कहा कि वक्फ इस्लाम का हिस्सा नहीं है, बल्कि सिर्फ दान की प्रक्रिया है। साथ ही उन्होंने कहा कि वक्फ संशोधन अधिनियम को लेकर झूठी कहानियां फैलाई जा रही है। आइए जानतें है कि तुषार मेहता ने क्या-क्या दलीलें दी…
1- 1923 से चली आ रही समस्याओं का समाधान: सॉलिसिटर तुषार मेहता ने कहा कि वक्फ कानून में 1923, 1954 और 1995 के प्रावधानों में कई कमियां थीं, जिन्हें नए संशोधन अधिनियम के जरिए ठीक किया गया है। साथ ही उन्होंने जोर दिया कि सरकार ने लाखों लोगों से राय लेकर यह कानून बनाया, जिससे यह व्यापक जनमत को दर्शाता है।
2- वक्फ-बाय-यूजर का खारिज होना: मेहता ने ‘वक्फ-बाय-यूजर’ (दीर्घकालिक धार्मिक उपयोग के आधार पर संपत्ति को वक्फ घोषित करना) के सिद्धांत को खारिज किया। उन्होंने कहा कि सरकारी जमीन पर कोई अधिकार नहीं हो सकता, और सुप्रीम कोर्ट पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि अगर सरकारी संपत्ति को वक्फ घोषित किया गया है, तो सरकार उसे वापस ले सकती है।
3- वक्फ इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं: तुषार मेहता ने कहा कि वक्फ एक इस्लामी अवधारणा है, लेकिन यह इस्लाम का मूल या अनिवार्य हिस्सा नहीं है। यह केवल एक प्रकार का दान है, जैसा कि अन्य धर्मों में भी होता है, जैसे हिंदुओं में दान और ईसाइयों में चैरिटी। उन्होंने तर्क दिया कि वक्फ करना किसी व्यक्ति के मुस्लिम होने की अनिवार्य शर्त नहीं है। उदाहरण के लिए, उन्होंने पूछा कि यदि कोई मुस्लिम वक्फ नहीं करता, तो क्या वह मुस्लिम नहीं रहेगा?
5- याचिकाकर्ताओं की प्रासंगिकता: मेहता ने कोर्ट से कहा कि याचिकाकर्ता व्यक्तिगत रूप से इस कानून से प्रभावित नहीं हैं और वे पूरे मुस्लिम समुदाय का प्रतिनिधित्व नहीं करते। उन्होंने तर्क दिया कि कानून को चुनौती देने वालों को यह साबित करना होगा कि यह उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है।
6- झूठी कहानियों का खंडन: मेहता ने कहा कि वक्फ संशोधन अधिनियम को लेकर “झूठी कहानियां” फैलाई जा रही हैं, जैसे कि सरकार वक्फ संपत्तियों पर कब्जा करना चाहती है। उन्होंने कोर्ट को भरोसा दिलाया कि सरकार हर बिंदु का जवाब देगी।
7- संपत्ति के स्वामित्व का मुद्दा: मेहता ने स्पष्ट किया कि राजस्व अधिकारी केवल यह तय करते हैं कि कोई जमीन सरकारी है या नहीं, लेकिन वे स्वामित्व का अंतिम निर्णय नहीं ले सकते। अगर कोई संपत्ति वक्फ-बाय-यूजर के तौर पर रजिस्टर्ड है, तो उसका मूल्यांकन दो अपवादों के साथ किया जाएगा।
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