वक्फ मामले में सुनवाई पूरी, सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा
Supreme Court Judgement Waqf Act: सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और अभिषेक सिंधवी ने विभिन्न दलीलों के माध्यम से नए प्रावधानों के कार्यान्वयन पर अंतरिम रोक लगाने का अनुरोध किया।
वक्फ मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा (Photo- X @Mrdemocratic)
Waqf Act: नए वक्फ कानून को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया। चीफ जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस एजी मसीह की बेंच के सामने केंद्र सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और विरोधी पक्ष के वकील कपिल सिब्बल ने दलीलें रखीं।
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और अभिषेक सिंधवी ने विभिन्न दलीलों के माध्यम से नए प्रावधानों के कार्यान्वयन पर अंतरिम रोक लगाने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि वर्तमान स्वरूप में यह कानून मौलिक धार्मिक अधिकारों का उल्लंघन करता है।
अपूरणीय क्षति होगी- कपिल सिब्बल
सिब्बल ने कहा कि अगर कानून पर रोक नहीं लगायी गई तो इससे अपूरणीय क्षति होगी, खासकर तब जब जिला कलेक्टर को यह तय करने का अधिकार दिया गया है कि कोई संपत्ति वक्फ है या सरकारी स्वामित्व वाली है।
तुषार मेहता ने केंद्र का रखा पक्ष
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने केंद्र सरकार का पक्ष रखते हुए याचिकाकर्ताओं के रुख का कड़ा विरोध किया। उन्होंने कहा कि इस्लामी परंपरा में वक्फ अनिवार्य धार्मिक प्रथा नहीं है। वक्फ बोर्ड का कार्य धर्मनिरपेक्ष प्रकृति का है और वह केवल प्रबंधन को देखता है। इसलिए ऐसे बोर्डों में गैर-मुस्लिमों को शामिल करना संवैधानिक है।
‘हिंदुओं में मोक्ष की अवधारणा’
वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल की इस दलील पर प्रतिक्रिया देते हुए मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने कहा कि हिंदुओं में मोक्ष की अवधारणा है। जस्टिस मसीह ने भी अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि ईसाई धर्म में भी समान आध्यात्मिक आदर्श हैं, “हम सभी स्वर्ग जाने का प्रयास करते हैं।
सॉलिसिटर जनरल मेहता ने कहा कि वक्फ बनाना और वक्फ को दान देना दोनों अलग हैं। यही कारण है कि मुसलमानों के लिए 5 साल की प्रैक्टिस की जरूरत रखी गई है, ताकि वक्फ का इस्तेमाल किसी को धोखा देने के लिए न किया जाए।