कांग्रेस ने क्या दावा किया है?
दरअसल, दिल्ली नगर निगम में आम आदमी पार्टी (AAP) पार्षदों के इस्तीफे और इंद्रप्रस्थ विकास पार्टी के गठन के ऐलान पर कांग्रेस ने AAP पर तीखा हमला बोला है। कांग्रेस नेता और पूर्व भाजपा सांसद उदित राज ने कहा कि यदि भारतीय जनता पार्टी (BJP) आम आदमी पार्टी के नेताओं को अपनाने के लिए तैयार हो जाए तो कुछ अपवादों को छोड़कर एमसीडी के ज्यादातर पार्षद भाजपा में शामिल होने को तैयार हैं। उदित राज ने अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व पर सवाल उठाते हुए कहा “AAP का कोई ठोस वैचारिक आधार नहीं है। यही वजह है कि आम आदमी पार्टी के नेता लगातार संगठन छोड़ रहे हैं। मेरे सूत्रों से पता चला है कि यदि भाजपा सहमति दे तो आम आदमी पार्टी के ज्यादातर पार्षद भाजपा में शामिल हो सकते हैं।”
AAP पर वित्तीय अनियमितताओं के आरोप
कांग्रेस नेता यहीं नहीं रुके। उन्होंने आम आदमी पार्टी पर गंभीर आर्थिक आरोप लगाते हुए कहा कि दिल्ली की सत्ता में रहते हुए AAP नेताओं ने यहां से धन लूटकर गुजरात, पंजाब और गोवा जैसे राज्यों के चुनावों में खर्च किया। उदित राज ने कहा “AAP एक पैसे लूटने वाली पार्टी है। जो टैक्स से मिली रकम से दिल्लीवासियों को बिजली-पानी जैसी सुविधाएं देकर लोकप्रियता हासिल करती है और फिर चुनावी राज्यों में यह पैसा झोंक देती है।” दूसरी ओर एमसीडी के 15 पार्षदों के आम आदमी पार्टी से इस्तीफा देने और इंद्रप्रस्थ विकास पार्टी के गठन के पीछे AAP ने भाजपा को जिम्मेदार बताया है। आम आदमी पार्टी की मुख्य प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने एक बयान में कहा कि AAP पार्षदों को तोड़ने के लिए भाजपा का यह सुनियोजित और भ्रष्ट अभियान है। उन्होंने कहा कि भाजपा के पास दिल्ली नगर निगम में स्थायी समिति या वार्ड समितियां बनाने के लिए बहुमत नहीं है। इसीलिए वह अप्रैल में महापौर चुनाव के बाद से ही विपक्षी पार्षदों को अपने पाले में करने की कोशिशें कर रही है। वहीं भाजपा नेता वीरेंद्र सचदेवा ने आम आदमी पार्टी के इस आरोप का पुरजोर खंडन किया है। वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि यह आम आदमी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की गलतियों का परिणाम है। इसमें भाजपा का कोई हाथ नहीं है।
क्या दिल्ली से भंग हो गया केजरीवाल का मोह?
दिल्ली में सियासी उठापटक के बाद आम आदमी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व यानी अरविंद केजरीवाल की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो दिल्ली विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद एमसीडी में भी आम आदमी पार्टी का संख्याबल तेजी से घटता रहा। इस बीच आम आदमी पार्टी के नेताओं में बढ़ते असंतोष को शीर्ष नेतृत्व भांपने में असफल रहा। हालांकि दिल्ली में विधानसभा चुनाव के बाद AAP की वरिष्ठ नेता आतिशी और सौरभ भारद्वाज ने विपक्ष के तौर पर मोर्चा संभाला है, लेकिन पार्टी की अंदरूनी कलह को संभालने में ये भी सफल न रहे। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि दिल्ली विधानसभा चुनावों के नतीजे सामने आने के बाद से दिल्ली के पूर्व सीएम और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल दिल्ली की लाइम लाइट से काफी हद तक दूर रहे हैं। जबकि इस समय दिल्ली में दस साल तक काफी मजबूत रही आम आदमी पार्टी अपने कार्यकर्ताओं को एकजुट रखने और असंतोष पाटने के लिए संघर्ष कर रही है। ऐसे में अरविंद केजरीवाल का दिल्ली से दूर होना कई सवाल खड़े करता है। हालांकि केजरीवाल दिल्ली के प्रभावित करने वाले मुद्दों को लेकर सोशल मीडिया पर कभी-कभी सक्रिय हो जाते हैं, लेकिन एक आध मामले को छोड़कर राष्ट्रीय राजधानी में वह प्रत्यक्ष रूप अनुपस्थित ही रहे हैं।
दिल्ली को छोड़ गुजरात और पंजाब पर केजरीवाल का फोकस
राजनीति जानकारों की मानें तो अरविंद केजरीवाल फिलहाल दिल्ली पर ज्यादा ध्यान न देकर मुख्य रूप से गुजरात और पंजाब पर फोकस हो गए हैं। इन दोनों राज्यों में विधानसभा चुनाव नजदीक हैं। इसी के चलते जिस दिन दिल्ली में आम आदमी पार्टी के 15 पार्षदों ने इस्तीफा देने और नई पार्टी गठित करने की घोषणा की। उस दिन भी अरविंद केजरीवाल पंजाब में एक जनसभा को संबोधित कर रहे थे। इस जनसभा में उन्होंने पंजाब के सीएम भगवंत सिंह मान की तारीफ करते हुए पंजाब में ड्रग तस्करों पर कार्रवाई की जानकारी दे रहे थे।