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नई दिल्ली

दिव्यांगों का नया सहारा बनेगा कार्बन फाइबर फुट प्रोस्थेसिस

स्वदेशी नकली पैर : डीआरडीओ और तेलंगाना के एम्स-बीबीनगर ने मिलकर बनाया

नई दिल्लीJul 16, 2025 / 12:26 am

ANUJ SHARMA

हैदराबाद. डीआरडीओ और तेलंगाना के एम्स-बीबीनगर ने मिलकर देश का पहला ‘कार्बन फाइबर फुट प्रोस्थेसिस’ (नकली पैर) तैयार किया है। यह 125 किलो तक भार सहन कर सकता है। इसकी कीमत 20,000 रुपए से कम होने के आसार हैं। अब तक कार्बन फाइबर फुट प्रोस्थेसिस विदेश से मंगाए जाते थे, जो काफी महंगे हैं। स्वदेशी मॉडल किफायती होने से कमजोर वर्गों के दिव्यांगों की पहुंच में होगा।
रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक नया पैर विदेशी मॉडलों जितनी ही अच्छी गुणवत्ता वाला है। इसे डीआरडीओ की रक्षा अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशाला (डीआरडीएल) के निदेशक जी.ए. श्रीनिवास मूर्ति और एम्स-बिबिनगर के कार्यकारी निदेशक डॉ. ए. संता सिंह ने लॉन्च किया। इसकी वजन सहने की क्षमता का बायोमैकेनिकल टेस्ट किया गया। अलग-अलग वजन के लोगों की मदद के लिए इसके तीन तरह के वेरिएंट तैयार किए गए हैं, ताकि सभी तरह के वजन के लोग इससे फायदा उठा सकें। डॉ. ए. संता सिंह ने कहा, यह फुट अच्छी क्वालिटी और किफायती समाधान देने के लिए डिजाइन किया गया है। जरूरतमंद लोगों की के लिए यह गेमचेंजर साबित होगा।
रबर से बने जयपुर फुट से काफी अलग

‘कार्बन फाइबर फुट प्रोस्थेसिस’ पहले से प्रचलित जयपुर फुट से काफी अलग है। जयपुर फुट रबर आधारित कृत्रिम पैर है, जो पैर का घुटने से नीचे का हिस्सा कटने पर लगाया जाता है। इसे 1969 में जयपुर के डॉ. प्रमोद करण सेठी और रामचंद्र शर्मा ने विकसित किया था। ‘कार्बन फाइबर फुट प्रोस्थेसिस’ का आकार बड़े जूते जैसा है। इसे दिव्यांगों के टखने वाले हिस्से में लगाया जाएगा।
चलने, दौडऩे, चढ़ाई में होंगे सक्षम

एम्स-बीबीनगर के विशेषज्ञों का कहना है कि नया नकली पैर दिव्यांगों की विभिन्न गतिविधियों में मदद करेगा। इसे पहनकर वे चलने, दौडऩे, चढ़ाई करने में सक्षम होंगे। इस समय विदेश से आयात किए जाने वाले ऐसे नकली पैर की कीमत करीब दो लाख रुपए है।

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