scriptइकलौते बेटे ने बुजुर्ग पिता को शौच के लिए तरसाया, अब 30 दिन में करना होगा ये काम | Delhi High Court Decision Son and daughter-in-law leave Parents House within 30 days | Patrika News
नई दिल्ली

इकलौते बेटे ने बुजुर्ग पिता को शौच के लिए तरसाया, अब 30 दिन में करना होगा ये काम

Delhi High Court Decision: दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में कानून को बुजुर्गों के साथ खड़ा होना चाहिए। इसके साथ ही बेटे-बहू को 30 दिन में पिता का घर खाली करने का आदेश दिया है।

नई दिल्लीJun 27, 2025 / 02:49 pm

Vishnu Bajpai

Delhi High Court Decision: इकलौते बेटे ने बुजुर्ग पिता को शौच के लिए तरसाया, अब 30 दिन में करना होगा ये काम

दिल्ली हाईकोर्ट ने 81 साल के पिता को प्रताड़ित करने वाले बेटे-बहू को घर खाली करने का आदेश दिया है।

Delhi High Court Decision: औलाद के लिए मां-बाप अपना सारा सुख चैन तक त्यागने में संकोच नहीं करते हैं, लेकिन कई बार बुढ़ापे में वही औलाद उन्हें ठुकरा देती है। इसके कई उदाहरण आपको अपने ही समाज में देखने को मिल जाएंगे। ऐसे ही एक मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। इस फैसले के पीछे अदालत की मंशा बुजुर्गों के अधिकारों को संरक्षित करने की है। ताकि जीवन के अंतिम पड़ाव पर उन्हें उन लोगों से तकलीफ और प्रताड़ना न मिले। जिन्हें पालने-पोसने और उनका जीवन संवारने में माता-पिता अपना सबकुछ दांव पर लगा देते हैं। मामला राष्ट्रीय राजधानी का है।

बेटे-बहू की प्रताड़ना का मामला

दरअसल, दिल्ली निवासी 81 साल के पिता ने अपने बेटे-बहू की प्रताड़ना से तंग आकर दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। इस मामले में सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने बेटे और बहू को 30 दिन में पिता का घर छोड़ने का आदेश दिया है। न्यायमूर्ति सचिन दत्ता की एकल पीठ ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली के डीसीपी को निर्देश दिया है कि बुजुर्ग के बेटे और बहू को 30 दिनों के भीतर उनके ही घर से बाहर किया जाए।
इस दौरान कोर्ट ने इस मामले में टिप्पणी करते हुए कहा “पूरे जीवन संघर्ष करने वाला हर व्यक्ति बुढ़ापे में सुकून चाहता है। इसके लिए वह सारे जतन करता है, लेकिन बुढ़ापे में अपनी ही संतान माता-पिता का उत्पीड़न कर उनका सुकून बर्बाद कर देती है। ऐसे मामलों में कानून को पीड़ित बुजुर्गों के साथ खड़ा होना चाहिए।”
यह भी पढ़ें

सोशल मीडिया पर प्यार, शादी के नाम पर प्रेमी की शर्त सुनकर शॉक्ड रह गई प्रेमिका, मुकदमा दर्ज

अपने बेटे-बहू के खिलाफ अदालत पहुंचा था पिता

याचिकाकर्ता बुजुर्ग ने बताया कि उनका मकान उन्हीं की संपत्ति है, लेकिन उनके इकलौते बेटे और बहू ने घर पर कब्जा कर रखा है। उन्होंने न केवल उनके कमरे से कीमती सामान निकाल लिया, बल्कि शौचालय के दरवाजे पर ताला लगाना, कमरे को बंद करना, मानसिक प्रताड़ना देना और यहां तक कि शारीरिक हिंसा करना भी आम बात बना दी है। कोर्ट ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा “यह परिस्थिति बेहद अमानवीय है और सामाजिक ताने-बाने के लिए खतरे की घंटी है।”

आठ साल तक थाने से लेकर कोर्ट तक काटे चक्कर

अदालत ने मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि बुजुर्ग नागरिक ने सबसे पहले 2017 में दिल्ली पुलिस से शिकायत की थी, लेकिन पुलिस ने इसे ‘पारिवारिक मामला’ कहकर हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया। इसके बाद उन्होंने वरिष्ठ नागरिक न्यायाधिकरण (Senior Citizen Tribunal), जिला न्यायालय और अब हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि वर्षों तक न्याय की तलाश में भटकना बुजुर्ग के लिए और अधिक मानसिक बोझ बन गया है। जिससे तत्काल राहत देना अनिवार्य हो गया है।

हाईकोर्ट की कड़ी टिप्पणी

न्यायालय ने इस मामले में प्रशासन की निष्क्रियता को भी आड़े हाथों लेते हुए कहा कि ऐसे मामलों में पुलिस को संवेदनशील और सक्रिय रवैया अपनाना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि “एक पिता अपनी पूरी जिंदगी मेहनत कर घर बनाता है, ताकि बुढ़ापे में उसे सुकून मिले, लेकिन जब वही आशियाना पीड़ा का केंद्र बन जाए, तो यह न केवल पारिवारिक विफलता है, बल्कि सामाजिक चिंता का विषय भी है।”
यह भी पढ़ें

पेट पर चलवाई गोली सीने में जा लगी…प्रेम प्रसंग में रची साजिश का खुद शिकार हो गया युवक

अब जानिए क्या हैं वरिष्ठ नागरिकों के अधिकार

यह मामला “Maintenance and Welfare of Parents and Senior Citizens Act, 2007” के तहत आता है, जिसके तहत वरिष्ठ नागरिक को यह अधिकार प्राप्त है कि उनकी संतान उन्हें न तो मानसिक या शारीरिक रूप से प्रताड़ित करे और न ही उनके संपत्ति पर अवैध रूप से कब्जा करे। इस कानून की धारा 23 यह कहती है कि यदि कोई वरिष्ठ नागरिक अपनी संपत्ति अपने उत्तराधिकारी को देता है और वह उत्तराधिकारी उसकी देखभाल करने में विफल रहता है तो संपत्ति का हस्तांतरण निरस्त किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त, भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 506 (आपराधिक धमकी), धारा 323 (मारपीट), और धारा 406 (विश्वासघात) भी इस मामले में लागू हो सकती हैं।

Hindi News / New Delhi / इकलौते बेटे ने बुजुर्ग पिता को शौच के लिए तरसाया, अब 30 दिन में करना होगा ये काम

ट्रेंडिंग वीडियो