न्यायमूति प्रतिभा एम सिंह और रजनीश कुमार की बेंच ने की सुनवाई
यह आदेश न्यायमूर्ति प्रतिभा एम. सिंह और न्यायमूर्ति रजनीश कुमार गुप्ता की वेकेशन बेंच ने दिया। जो श्लोक सचिन की ओर से दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रहे थे। श्लोक सचिन ने याचिका में यह मांग की थी कि उन्हें 2 जुलाई से शुरू हो रहे एनडीए के आगामी सत्र के लिए भर्ती प्रक्रिया में सम्मिलित किया जाए। इसके लिए उन्होंने केंद्र सरकार, संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) और अन्य संबंधित अधिकारियों को आदेश देने की मांग की थी। याचिका में सचिन ने एयरफोर्स सेंट्रल मेडिकल एस्टेब्लिशमेंट द्वारा 18 मार्च और 22 मई को जारी किए गए पत्रों को चुनौती दी थी। जिसमें उसे भारतीय वायुसेना और सेना के तीनों अंगों में भर्ती के लिए अयोग्य घोषित कर दिया गया था। अदालत ने 18 जून को अपने आदेश में कहा कि सचिन का मामला यह है कि उसे भारतीय वायुसेना में भर्ती के लिए चुना गया था, लेकिन मेडिकल बोर्ड ने इस आधार पर उसे अयोग्य घोषित कर दिया कि उसमें हीमोग्लोबिनोपैथी (एचबीई लक्षण) है।
दिल्ली हाईकोर्ट ने क्या कहा?
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि हीमोग्लोबिनोपैथी एक जेनेटिक स्थिति है। जिसमें व्यक्ति में एक जीन सामान्य हीमोग्लोबिन (एचबीए) के लिए और दूसरा जीन असामान्य हीमोग्लोबिन (एचबीई) के लिए होता है। यह एक प्रकार का रक्त विकार है जो चिकित्सा दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हो सकता है। दिल्ली हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि सचिन ने परीक्षा में 226वीं रैंक प्राप्त की थी, लेकिन उसे मेडिकल अनफिट घोषित कर दिया गया। इसके बाद उसने 18 मार्च को जारी मेडिकल बोर्ड के फैसले के खिलाफ अपील की थी, लेकिन अपील बोर्ड ने 22 मई को उसकी अपील खारिज कर दी। दिल्ली उच्च न्यायालय ने इस मामले में कहा, ‘‘मौजूदा याचिका में जो सवाल उठता है वह यह कि क्या याचिकाकर्ता की स्थिति यानी एचबीई लक्षण एलिजिबिलिटी क्लॉज (उम्मीदवारों के मेडिकल स्टैंडर्ड के संबंध में) से प्रभावित होगी या नहीं।’’ इसके साथ ही अदालत ने केंद्र सरकार, यूपीएससी, एयरफोर्स सेंट्रल मेडिकल एस्टेब्लिशमेंट और अन्य संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर यह निर्देश दिया है कि वे 25 जुलाई तक याचिकाकर्ता को अयोग्य घोषित करने के कारण अदालत के समक्ष प्रस्तुत करें।
अपील बोर्ड ने नहीं बताया याचिका खारिज करने का कारण
इसके अलावा, अदालत ने यह भी कहा कि अपील बोर्ड ने सचिन की अपील को खारिज करने के लिए कोई स्पष्ट कारण नहीं दिया है। हाईकोर्ट ने कहा,‘‘इस स्थिति पर विचार करते हुए नई दिल्ली का एम्स एक मेडिकल बोर्ड नियुक्त करे, जो इनएलिजिबिलिटी क्लॉज पर विचार करते हुए याचिकाकर्ता की उम्मीदवारी पर इस अदालत को एक एक्सपर्ट ओपिनियन दे। उक्त मेडिकल बोर्ड भी सुनवाई की अगली तारीख तक अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करे।’’