बिरला ने यह बातें महाराष्ट्र विधान भवन में एस्टिमेट कमेटियों के सभापतियों के राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन अवसर पर कही। उन्होंने संसदीय समितियों के कामकाज में डिजिटल टूल्स, डेटा एनालिटिक्स प्लेटफॉर्म और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के उपयोग का समर्थन किया, ताकि गहन जांच की जा सके और साक्ष्य-आधारित सिफारिशें की जा सकें। उन्होंने कहा कि एस्टिमेट कमेटी दशकों से महत्वपूर्ण निगरानी तंत्र के रूप में विकसित हुई है जो बजटीय अनुमानों की जांच और कार्यान्वयन का मूल्यांकन करती है। सरकार के कार्यों को बेहतर बनाने के लिए कार्रवाई योग्य सिफारिशें करती है। इस कमेटी ने सचिवालय के पुनर्गठन, रेलवे की क्षमता एवं इसकी परिचालन क्षमता, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, गंगा नदी के कायाकल्प आदि सहित कई प्रमुख क्षेत्रों में अग्रणी योगदान दिया है।
उन्होंने खुशी जताई कि सरकारों ने समिति की 90 से 95 फीसदी तक सिफारिशों को स्वीकार किया है बिरला ने राज्य विधानमंडलों की एस्टिमेट कमेटियों के सभापतियों से राज्य स्तर पर वित्तीय जवाबदेही के संरक्षक के रूप में कार्य करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक व्यय में वृद्धि और योजनाओं की बढ़ती जटिलता के तेजी से हो रहे तकनीकी परिवर्तन चुनौती भरे हैं। इस अवसर पर श्री बिरला ने भारतीय संसद की एस्टिमेट कमेटी की 75वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में स्मारिका का विमोचन भी किया। इस अवसर पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस, उप-मुख्य मंत्री एकनाथ शिंदे और अजित पवार, विधान परिषद के सभापति राम शिंदे, विधान सभा के अध्यक्ष राहुल नार्वेकर, एस्टिमेट कमेटी के सभापति संजय जायसवाल ने विचार रखे। राज्य सभा के उप-सभापति हरिवंश तथा महाराष्ट्र्र विधान परिषद में विपक्ष के नेता अंबादास दानवे उपस्थित रहे।