प्रवेश वर्मा ने आगे कहा “मिंटो ब्रिज पर काम किया है, ITO पर काम किया है जलभराव क्षेत्रों में काम किया है। कुछ जगहों पर काम खत्म होने में 1 से 1.5 साल लगेगा, कुछ जगहों पर 4 से 6 महीनों में काम खत्म होगा हालांकि हमने बहुत सारी जगहों पर काम खत्म कर लिया है। यह काम जारी रहेगा। अगली बारिश में आपको दिल्ली और अच्छी दिखाई दोगी हालांकि मिंटो ब्रिज में जैसे पानी भर जाता था। बसें डूब जाती थीं और ऐसा ही नजारा ITO पर भी दिखाई देता था। वह अब दिखाई नहीं देगा। दिल्ली के कई इलाकों को हमने साफ कर लिया है।”
अब चप्पे-चप्पे नजर रखने की तैयारी
दूसरी ओर दिल्ली के साकेत जिला न्यायालय परिसर में सुरक्षा और निगरानी व्यवस्था को अत्याधुनिक बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है। लोक निर्माण विभाग (PWD) जल्द ही यहां 200 से ज्यादा उन्नत तकनीक से लैस सीसीटीवी कैमरे स्थापित करेगा। अधिकारियों के अनुसार, यह फैसला न्यायालय परिसर में हाल ही में हुई आपराधिक घटना, विशेषकर एक विचाराधीन कैदी की हत्या के बाद लिया गया है, जिससे जेल की सुरक्षा को लेकर कई सवाल खड़े हुए थे।
सुरक्षा के लिए 2.5 करोड़ रुपए की योजना
PWD अधिकारियों ने बताया कि सरकार मौजूदा सुरक्षा ढांचे को मजबूत करने और चौबीसों घंटे निगरानी सुनिश्चित करने के लिए करीब ढाई करोड़ रुपए खर्च करेगी। मौजूदा योजना के तहत न्यायालय भवन और आवासीय परिसर में 168 बुलेट कैमरे और 101 आठ मेगापिक्सल वाले डोम कैमरे लगाए जाएंगे। इसके साथ ही न्यायालय परिसर में निरंतर निगरानी के लिए एक रिकॉर्ड रूम और इंटरनेट प्रोटोकॉल (IP) आधारित आधुनिक निगरानी प्रणाली की भी स्थापना की जाएगी। PWD पहले से लगे कैमरों को नई प्रणाली के साथ इंटीग्रेट करेगा। इसके लिए निविदा जारी कर दी गई है और एक बार ठेका मिलने के बाद तीन माह के भीतर काम पूरा कर लिया जाएगा।
हत्या की घटना के बाद उठाया गया कदम
यह निर्णय उस घटना के मद्देनजर लिया गया है जिसमें 5 जून को न्यायालय परिसर में लॉकअप के अंदर दो कैदियों ने आपसी रंजिश में एक विचाराधीन कैदी की हत्या कर दी थी। इस घटना के बाद साउथ दिल्ली के प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने कोर्ट के मुख्य द्वारों पर समेकित सुरक्षा उपकरण लगाने की आवश्यकता जताई थी। दिल्ली उच्च न्यायालय ने भी नवंबर 2021 में जिला अदालत परिसर की सुरक्षा व्यवस्था सुदृढ़ करने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए थे। इन निर्देशों में न्यायालय परिसर में आने-जाने वाले वाहनों की जांच, सीसीटीवी निगरानी, और नियमित सुरक्षा ऑडिट की आवश्यकता बताई गई थी।