उत्तर प्रदेश : लट्ठमार होली नंदगांव के लोग भगवान कृष्ण और ग्वाल-बाल के रूप में होली खेलने के लिए बरसाना आते हैं, जहां गांव की महिलाएं उन पर लाठी बरसाती हैं। उनकी मार से बचने के लिए ग्वाल-बाल डंडों और ढालों का उपयोग करते हैं। ब्रज में लड्डूमार होली भी मनाई जाती है।
उत्तराखंड : खड़ी और बैठकी होली उत्तराखंड में पुरुष पारंपरिक वेशभूषा पहनकर मंदिर, घरों या सामूहिक स्थलों पर बैठकर लोकगीत गाते हैं। गीतों में शास्त्रीय रागों का प्रयोग होता है। इसे बैठकी होली कहते हैं। लोग समूह में घेरा बनाकर नृत्य करते हैं। इसे खड़ी होली कहते हैं।
मध्य प्रदेश : गेर में होते हैं लाखों शामिल मध्य क्षेत्र के इंदौर, उज्जैन, रतलाम, धार और मंदसौर में होली के पांच दिन बाद रंगपंचमी पर गेर निकालने की परंपरा है। गेर में लाखों लोग एक साथ होली मनाते हुए एक-दूसरे को रंग गुलाल लगाते हैं। उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर, ओरछा के रामराजा मंदिर में विशेष आयोजन होता है।
पंजाब : होला मोहल्ला पंजाब में होली के दिन आनंदपुर साहिब में निहंग करतब दिखाकर होला मोहल्ला का पर्व मनाते हैं। इस दौरान शहर के लोग इन करतबों को देखने के लिए एकजुट होते हैं। यह नजारा अद्भुत होता है। हवा में गुलाल भी उड़ाया जाता हैं।
पश्चिम बंगाल : ठाकुरजी संग होली कोलकाता में मथुरा-वृंदावन की तर्ज पर लोग सतरंगी गुलाल से ठाकुरजी संग होली खेलते हैं। यह परंपरा बलदेवजी मंदिर हवेली और श्रीनाथजी मंदिर सहित कई प्राचीन मंदिरों में सदियों से चली आ रही है। वसंत पंचमी से उत्सव की शुरुआत होती है। यह धुलंडी पर भव्य आयोजन के साथ पूर्ण होता है।
तमिलनाडु : मूर्तियों का जलाभिषेक तमिलनाडु में होली पर भगवान विष्णु के मंदिरों में तीर्थवारी का आयोजन होता है। उत्सव मूर्तियों को निकटवर्ती जलस्रोतों तक ले जाकर अभिषेक किया जाता है। अच्छी बरसात के लिए इंद्र देव की पूजा की जाती है। कामदेव के दहन से जुड़ी कथा का स्मरण किया जाता है।
मणिपुर : ढोल के साथ कृष्ण दर्शन मणिपुर की रासगंगा होली बेहद खास है। यह त्योहार छह दिन पहले शुरू हो जाता है। लोग आग जलाकर ढोल बजाकर नृत्य करते हैं। एक-दूसरे को रंग लगाते हैं। आखिर में होली के दिन लोग कृष्ण मंदिर में दर्शन के लिए पहुंचते हैं। वहां पारंपरिक कार्यक्रम होते हैं।